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वित्त वर्ष की व्यावहारिकता परखने के लिए आचार्य समिति का गठन किया गया

केंद्र सरकार ने 6 जुलाई 2016 को नए वित्त वर्ष की व्यावहारिकता परखने के लिए एक समिति का गठन किया.

•    चार सदसीय समिति की अध्यक्षता मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य करेंगे. इस समिति को 31 दिसम्बर 2016 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है.
•    इस समिति के अन्य सदस्य हैं – पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व वित्त सचिव पीवी राजारमन, पॉलिसी रिसर्च केंद्र के वरिष्ठ वक्ता डॉ राजीव कुमार.
•    समिति केंद्र और राज्य सरकारों की प्राप्तियों और व्यय के सटीक आकलन की दृष्टि से वित्त वर्ष की उपयुक्तता, विभिन्न कृषि फसलों के अंतराल, कार्यकारी सत्र (वर्किंग सीजन) और कारोबार पर इसके प्रभावों के बारे में विचार विमर्श करेगी.
•    समिति को कहा गया है कि वह इन सभी विषयों पर विचार करने के बाद देश के लिए उपयुक्त नया वित्त वर्ष शुरु करने की तारीख की सिफारिश कर सकती है.
•    समिति यह भी बताएगी कि वित्त वर्ष में बदलाव कब से किया जाए और जब तक नया वित्त वर्ष शुरु न हो तब तक कर तथा अन्य मामलों के संबंध में क्या व्यवस्था अपनायी जाए.
•    पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए की पहली सरकार ने शाम को बजट पेश किए जाने की परंपरा बदली थी. 
•    वर्ष 2000 से पहले तक अंग्रेजों की परंपरा का पालन करते हुए आजादी के बाद से ही सरकार अपना बजट फरवरी की अंतिम तारीख को शाम साढ़े पांज बजे पेश करती रही है लेकिन वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने इस परंपरा को समाप्त कर प्रात: 11 बजे संसद में बजट पेश करना शुरू किया. 
•    इसके पीछे यही तर्क दिया गया था कि देश की अपनी परिस्थितियों के अनुसार बजट पेश करने का वक्त निर्धारित करना चाहिए. यही तर्क वित्त वर्ष में बदलाव को लेकर भी दिया गया.

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खनिज संसाधन मंत्रालय राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति

भूवैज्ञानिकों के बीच आम सहमति बनी है कि देश बड़े पैमाने पर खनिज संसाधन से संपन्न है और ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका की तरह यहां भी भूगर्भीय पर्यावरण है। हालांकि आमतौर पर सर्वेक्षण और अन्वेषण उथले और उपरी खनिज भंडार पर केंद्रित होते हैं। गहराई में दबे खनिज के अन्वेषण में अधिक जोखिम होता है और लागत भी अधिक लगती है तथा इसके लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी तथा विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। 
उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए प्रयासों में विश्वभर के निजी क्षेत्र में उपलब्ध विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी नवाचार के साथ व्यापक सहयोग करने की आवश्यकता है। संभावित लाइसेंस और खनन पट्टे के वास्ते खनिज रियायत आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए एमएमडीआर संशोधन विधेयक 2015 लाया गया। वर्तमान में गैर विशिष्ट पैमाइश परमिट (एनईआरपी) के लिए खनिज रियायत प्रदान की जाती है जिसमें संभावित और खनन लाइसेंस के लिए असीमित लेन-देन की अनुमति नहीं है। इस कारण निजी क्षेत्र उच्च जोखिम उठाने के लिए उत्साहित नहीं होते हैं। इसे देखते हुए अन्वेषण में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति (एनएमईपी) तैयार की गई है। 

एनएमईपी के तहत ई-नीलामी के बाद खनिज ब्लॉक की सफल बोली से राजस्व (रॉयल्टी /राज्य सरकार द्वारा एकत्रित लाभांश के तरीके से) में कुछ भागीदारी के अधिकार के साथ निजी एजेंसियां अन्वेषण कर सकेगी। राजस्व भागीदारी का भुगतान खनन लीज की पूरी अवधि के दौरान हस्तांतरण अधिकारों के साथ या तो एक मुश्त किया जाएगा या वार्षिक आधार पर होगा। 
सरकार विभिन्न प्रकार के खनिजों के अन्वेषण कार्य की मानक लागत भी तैयार करेगी ताकि अगर अन्वेषण एजेंसियां अपने खनन क्षेत्र में कोई खनिज नहीं खोज पाती हैं तो उन्हें मुआवजा दिया जा सके। अन्वेषण के जोखिम को कम करने के लिए अन्वेषण एजेंसियों के लिए यह एक अतिरिक्त प्रोत्साहन होगा। निजी खनिकों का चयन निम्नलिखित प्रतिस्पर्धी बोली की पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा किया जाएगा। 
•    सफल अन्वेषण प्रक्रिया में अधिग्रहण और प्रतिस्पर्धा के पहले के भूगर्भीय आधारभूत आंकड़ों की व्याख्या महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस संबंध में एनएमईपी निम्नलिखित प्रस्ताव देती है। 
•    प्रतिस्पर्धा से पहले आधारभूत भूगर्भीय आंकड़े सार्वजनिक रूप से तैयार किए जाएंगे और नि:शुल्क इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होंगे। 
•    पूरे देश का नक्शा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय एयरो जीयोफिजिकल मानचित्रण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इससे गहराई में दबे खनिज भंडारण को चित्रित करने में मदद मिलेगी। 
•    राष्ट्रीय भूगर्भीय डेटा रिपोजिटरी (एनजीडीआर) का गठन किया जाएगा। जीएसआई विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियों खनिज तथा रियायत पाने वालों द्वारा तैयार की गई आधारभूत और खनिज अन्वेषण की जानकारी की तुलना करेगी और इसे भूस्थानिक डेटाबेस पर रखेगी। 
•    सरकार देश में खनिज अन्वेषण की चुनौती से निपटने में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी के लिए वैज्ञानिक तथा अनुसंधान निकायों, विश्वविद्यालयों और उद्योग के साथ सहयोग और समर्थन करेगी। इसके लिए सरकार ने एक गैर लाभ की स्वायत्त निकाय/कंपनी के गठन का प्रस्ताव दिया है जिसका नाम राष्ट्रीय खनिज निर्धारण केंद्र (एनसीएमटी) होगा।
•    नीलामी योग्य संभावनाओं को व्यवस्थित करने में राज्य सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्हें खनिज अन्वेषण का कार्य करना होगा और नीलामी के लिए जी-3 या जी-2 स्तर पूर्ण करना होगा। राज्यों को अन्वेषण क्षमता, प्रद्योगिकी विशेषज्ञता और बुनियादी ढांचा सुविधा का निर्माण करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार क्षमता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास (एनएमईटी) से राज्य सरकार को सहायता प्रदान करेगी। 
•    एनएमईपी ने ऑस्ट्रेलिया के अनकवर परियोजना की तर्ज पर प्रदेश में गहराई में दबे खनिज भंडार की खोज के लिए विशेष पहल शुरू करने का प्रस्ताव किया है। पायलट परियोजना राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) तथा प्रस्तावित राष्ट्रीय खजिन निर्धारण केंद्र (एनसीएमटी) एवं जीओ साइंस ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से शुरू की जाएगी। 
•    खनिज अन्वेषण के लिए अनुबंध ढांचा के विस्तृत शर्तें तैयार करने के लिए खान मंत्रालय ने सलाहकार के रूप में एसबीआई कैपिटल मार्केट लिमिटेड (एसबीआई कैप) का चयन किया है।  खनिज संसाधन मंत्रालय निजी एजेंसियों को इस प्रक्रिया में शामिल करने के लिए राज्य सरकार की सहायता करेगा। 

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भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकलेगी 6 जुलाई को, मंदिर में पूजा शुरू

डालीगंज स्थति श्री राधा माधव मंदिर से 6 जुलाई को रथ यात्रा निकली जाएगी। 
•    यह यात्रा उड़ीसा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ जी मंदिर की तर्ज पर निकलेगी। रथ पर बलराम, सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ जी की सवारी निकलेगी। 
•    रथ यात्रा के मौके पर 11 सौ दीपक से आरती की जाएगी। रथ यात्रा से पूर्व मंदिर के श्री माधव सेवा संस्थान की तरफ से मंदिर में श्रीमदभागवत कथा का पाठ चल रहा है।
•    मंदिर प्रसाशन के अनुसार इस रथ यात्रा में भक्तों को आरती करने का मौका मिलेगा। 11सौ आरती से भक्त रथ की आरती कर सकेंगे। 
•    रथ यात्रा सुबह 10 बजे निकलेगी। श्री राधामाधव संस्थान के श्याम साहू ने बताया की इस वर्ष रथयात्रा के आगे केले के पत्ते की थाल में धूपदीप के साथ फूल दिए जाएंगे। 
•    इस वर्ष ग्यारह सौ दीप आरती थल की व्यवस्था की गयी इससे हर भक्त श्रीहरि की सेवा कर सकेगा तथा संस्था के सदस्यो द्वारा यात्रा के दौरान सडक के किनारें तथा समस्त परिवार तथा व्यापारियों को दीपक आरती थाल दी जायेगी।
•    पौराणिक कथाओं के अनुसार 'राजा इन्द्रद्युम्न' भगवान जगन्नाथ को 'शबर राजा' से यहां लेकर आये थे तथा उन्होंने ही मूल मंदिर का निर्माण कराया था जो बाद में नष्ट हो गया। 
•    इस मूल मंदिर का कब निर्माण हुआ और यह कब नष्ट हो गया इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। 
•    'ययाति केशरी' ने भी एक मंदिर का निर्माण कराया था। 
•    वर्तमान 65 मीटर ऊंचे मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल 'गंगदेव' तथा 'अनंग भीमदेव' ने कराया था। 
•    परंतु जगन्नाथ संप्रदाय वैदिक काल से लेकर अब तक मौजूद है।

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असाम सरकार ने कृषि के लिए 100 दिन की योजना शुरू की

असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कृषि, शहरी विकास और पशु चिकित्सा क्षेत्रों के लिए 100 दिन की योजना की घोषणा की।
•    किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड, एक कोल्ड स्टोरेज सिस्टम, बीज वितरण और शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ई-टेंडरिंग की स्थापना जैसे कुछ उपायों से लैस किया जाएगा 
•    बोरा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की हालत में उत्थान चाहती है , ताकि युवा पीढ़ी को खेती की ओर आकर्षित किया जा सके ।
•    योजना के अनुसार, राज्य सरकार 30000 किसानों को 100 दिनों के भीतर पहचान पत्र के साथ-साथ मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करेगी .
•    इस संख्या को बढ़ाकर 22 लाख किये जाने की तैयारी है 
•    बुनियादी ढांचे के विकास के हिस्से के रूप में, एक कोल्ड स्टोरेज जोरहाट में स्थापित किया जाएगा, जबकि एक प्रदर्शन-सह-उत्कृष्टता केंद्र बामुनीगाँव में स्थापित किया जाएगा।
•    किसानों के बीज से संबंधित शिकायतों के समाधान पर विशेष जोर देते हुए ई-टेंडरिंग लागू किया जाएगा और 20,000 क्विंटल बीज बीज ग्राम योजना के भाग के रूप में वितरित किया जाएगा।
•    पशु चिकित्सा के क्षेत्र में सरकार, सोनितपुर, नलबाड़ी, जोरहाट और कामरूप में सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत 22 पोल्ट्री फार्मों के व्यवसायीकरण करने के लिए योजना बना रही है.

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रैपिड रूरल पुलिस रिस्पांस सिस्टम पंजाब में शुरु किया गया

1 जुलाई 2016 से पंजाब में रैपिड रूरल पुलिस रिस्पांस सिस्टम शुरु किया गया.
•    इस सिस्टम को पंजाब के 12000 से भी अधिक गांवों में पुलिस की तत्काल एवं प्रभावी प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए शुरु किया गया है.
•    रैपिड रूरल पुलिस रिस्पांस सिस्टम का शुभारंभ पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने की.
•    400 नई मोटर साइकिलें और 220 नई बोलेरो जीपों को भी इस नई प्रणाली के तहत झंडा दिखा कर शामिल किया गया.
•    इस प्रणाली के तहत किसी भी अपराध या कानून एवं व्यवस्था की गड़बड़ी संबंधी रिपोर्ट मिलने के 20 मिनट के भीतर पुलिस सक्रिए हो जाएगी.
•    प्रतीक्षा  में रहने वाली कॉल या देरी से बचने के लिए इस प्रणाली के तहत दो लाइनें स्थापित की गईं हैं.
•    पुलिस विभाग ने जिले के चार ब्लॉकों के 446 गांवों को 25 बीटों में विभाजित किया है.
•    इस उद्देश्य के लिए कंप्यूटर–एडेड डिस्पैच सॉफ्टवेयर से लैस विशेष नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) भी बनाया गया है.

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भारत के पहले वाणिज्यिक न्यायालय एवं विवाद निपटान केंद्र का छत्तीसगढ़ में शुभारम्भ

भारत के पहले वाणिज्यिक न्यायालय एवं विवाद निपटान केंद्र का 2 जुलाई 2016 को छत्तीसगढ़ में उद्घाटन किया गया.
•    इस केंद्र एवं न्यायालय परिसर का उद्घाटन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह एवं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन बी लोकुर द्वारा किया गया.
•    इस न्यायालय में मध्यस्थता केंद्र भी स्थापित किया गया है.
•    यहां दी गयी कुछ अन्य सुविधाओं में विडियो-कांफ्रेंसिंग, ई-कोर्ट, ई-लाइब्रेरी, ई-फाइलिंग एवं ई-समन भी शामिल हैं.
•    यह अत्याधुनिक सुविधाएं निवेशकों को वाणिज्यिक गतिविधियों में सहायता करेंगी.
•    न्यायालय द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में भी सुधार किया जा सकेगा.
•    छत्तीसगढ़ भारत का एक राज्य है। 
•    भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया - एक तो 'मगध' जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण "बिहार" बन गया और दूसरा 'दक्षिण कौशल' जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण "छत्तीसगढ़" बन गया। 
•    किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं। 
•    "छत्तीसगढ़" तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। 
•    यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यहाँ पर वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध के साथ ही अनेक आर्य तथा अनार्य संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है।

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ऊर्जा बचत और ऊर्जा दक्षता पर ब्रिक्स कार्य समूह की बैठक विशाखापत्तनम में आयोजित

ऊर्जा की बचत और ऊर्जा दक्षता पर ब्रिक्स कार्य समूह की पहली बैठक 4 जुलाई 2016 को विशाखापत्तनम में आयोजित की गयी.
इस दो दिवसीय बैठक में सभी 5 ब्रिक्स सदस्यों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका) ने भाग लिया. 
•    यह बैठक केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय द्वारा आयोजित कराई गयी.
भारत ने 2016 ब्रिक्स बैठक की अध्यक्षता की जिससे वह अपने मुद्दों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु मार्ग प्रशस्त कर सकेगा. 
•    ब्रिक्स देशों द्वारा ऊर्जा की बचत और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उपायों पर प्रस्तुतियां दी गयीं.
•    भारत द्वारा भी उर्जा संरक्षण एवं उर्जा बचत पर किये गये प्रयासों पर प्रकाश डाला गया.
•    भारत की ओर से एलईडी स्ट्रीट लाइट कार्यक्रम को प्रदर्शित किया गया.
•    कार्य समूह द्वारा ब्रिक्स देशों में उर्जा दक्षता एवं उर्जा की बचत में सहयोग के विकास हेतु कार्ययोजना पर विचार-विमर्श किया गया.
•    बैठक के दौरान एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया.
•    ब्रिक्स के उर्जा मंत्रियों ने 20 नवम्बर 2015 को मॉस्को में आयोजित बैठक के दौरान उर्जा बचत एवं उर्जा दक्षता हेतु आपसी सहमति के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.
•    समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से सभी देशों ने पारस्परिक अनुसंधान, तकनीक स्थानांतरण एवं सम्मेलन योजना हेतु भी सहमति व्यक्त की.
•    इस दौरान मंत्रियों ने उर्जा संरक्षण एवं उर्जा दक्षता हेतु एक कार्यसमूह बनाने का निर्णय भी लिया था.

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जून 2016 को संघ लोक सेवा आयोग और भूटान के रॉयल सिविल सेवा आयोग के मध्य किए गए समझौता ज्ञापन का अनुमोदन कर दिया. केन्द्रीय मंत्रिमंडल की इस बैठक की अध्य‍क्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
•    समझौता ज्ञापन का प्रयोजन आरसीएससी और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बीच मौजूदा संबंधों को और सुदृढ़ बनाना है.
•    इसमें अनुभवों और विशेषज्ञता का परस्पर आदान-प्रदान करने का भी प्रावधान है.
•    सिविल सेवा मामलों में अनुभव और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान.
•    इसके अंतर्गत भर्ती एवं चयन, ज्ञानवान व्यक्तियों की सेवाओं, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के व्यायवसायिक कौशल में वृद्धि जैसे मामलों में सहयोग शामिल है.
•    सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के प्रयोग में विशेषज्ञता का आदान-प्रदान, कंप्यूरटर आधारित भर्ती परीक्षाएं, तेजी से परीक्षण के लिए एकल विंडो चयन प्रणाली आदि शामिल है. 
•    प्रत्यायोजित अधिकारों के अंतर्गत विभिन्न पदों पर भर्ती में विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रक्रियाओं और प्रविधियों की जांच के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों में अनुभवों का आदान-प्रदान करना.
•    रिकॉर्डों, भंडारों का डिजिटलीकरण और ऐतिहासिक रिकॉर्डों को प्रदर्शित करना. 
•    अतीत में यूपीएससी ने कनाडा और भूटान के लोक सेवा आयोगों के साथ भी  समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए.

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राष्ट्रीय खनिज उत्खनन नीति (एनएमईपी) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी

राष्ट्रीय खनिज उत्खनन नीति (एनएमईपी) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी। 
•    इससे 100 खनिज ब्लॉकों की नीलामी का रास्ता साफ हो गया है। 
•    इसकी बदौलत माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ बढ़ने की संभावना जताई गई है।
•    एक सूत्र ने बताया, ‘मंत्रिमंडल ने एनएमईपी को हरी झंडी दे दी। 
•    अब सरकार 100 वैसे ब्लॉकों की नीलामी कर सकती है जिनकी पहचान भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) ने उत्खनन के लिए की है।’ 
•    खान मंत्रालय ने देश में खनिज उत्खनन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खनिज उत्खनन ट्रस्ट (एनएमईटी) को पहले ही अधिसूचित कर दिया है।
•    एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि एनएमईपी एक अहम पहलू यह है कि इसमें खनिजों की खोज में निजी निवेश के लिए आकर्षक प्रावधान हैं। 
•    इसमें प्रस्ताव किया गया है कि जो प्राइवेट कंपनियां क्षेत्रीय और विस्तृत खोज के काम को अंजाम दे रही हैं, उन्हें उत्खनन से होने वाली आय में एक निश्चित हिस्सा मिलेगा। रॉयल्टी या प्रीमियम के रूप में। 
•    खोज करने वाली कंपनियों को आय में हिस्सेदारी या तो एकमुश्त मिलेगी या फिर सालाना आधार पर।

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केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और इसरो के अंतरिक्ष विभाग के बीच ज्ञापन पर हस्ताक्षर

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) मनरेगा के तहत हर ग्राम पंचायत में निर्मित संपत्तियों को उपग्रहों के माध्यम से दर्ज करेगा, जिससे इन संपत्तियों के निर्माण कार्य की निगरानी की जा सकेगी.
•    ग्रामीण विकास मंत्रालय और इसरो के बीच एक करार पर हस्ताक्षर होने से यह सुविधा उपलब्ध हुई है. 
•    देश में हर साल मनरेगा के तहत करीब तीस लाख संपत्तियों का निर्माण होता है. 
•    पीएम नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों मनरेगा की समीक्षा बैठक में इस योजना के तहत निर्मित संपत्तियों की ऑनलाइन निगरानी और उन्हें ऑनलाइन दर्ज किए जाने पर जोर दिया था.
•    भुवन मोबाइल प्लेटफॉर्म के जरिए मनरेगा के तहत निर्मित संपत्तियों को ऑनलाइन दर्ज कर लिया जाएगा. 
•    इसके साथ ग्राम रोजगार सहायक या जूनियर इंजीनियर की तस्वीरें भी दर्ज कर ली जाएंगी. 
•    इस नयी तकनीक से सरकारी योजनाओं को लागू करने में पारदर्शिता आएगी. 
•    साथ ही मनरेगा के तहत निर्मित संपत्तियों को देखा भी जा सकेगा और इलाके की मैपिंग भी की जा सकेगी, ताकि विकास कार्यों को सही तरीके से पूरा किया सके.

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