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केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के ऑनलाइन वेब पोर्टल ‘एनओएपीएस’ का शुभारंभ किया

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने 26 अप्रैल 2016 को राष्ट्रीय स्मांरक प्राधिकरण (एनएमए) के ऑनलाइन वेब पोर्टल ‘एनओसी ऑनलाइन एप्लीकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टीम (एनओएपीएस) का शुभारंभ किया.
प्रधानमंत्री के ‘ई गवर्नेंस’ और ‘कारोबार करने की सुगमता’ संबंधी निर्देश को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने यह ऑनलाइन वेब पोर्टल विकसित किया है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• यह पोर्टल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता का उपयोग करता है, जो एएसआई द्वारा संरक्षित 3686 स्माकरकों और स्थलो के मानचित्रण की प्रक्रिया में है.
• इसका उपयोग संरक्षित स्मारक के निषिद्ध और नियंत्रित क्षेत्र के दायरे में आने वाली अपनी जमीन के जिओ कोऑर्डनैट्स को अपलोड करने में किया जा सकता है.
• एनएमए के वेब पोर्टल को अब दिल्ली और मुम्बई के स्थानीय निकायों के ऑनलाइन पोर्टल यथा एनडीएमसी, वृहद मुम्बई महानगर निगम (एमसीजीएम) और दिल्ली नगर निगम-एमसीडी (दक्षिणी दिल्ली  नगर निगम, उत्तरी दिल्ली  नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम) के साथ जोड़ा गया है.
• एनएमए प्राचीन, स्मारक एवं पुरातत्विक स्थल और अवशेष (एएमएएसआर) अधिनियम में निर्धारित 90 दिन की समय सीमा को घटाते हुए 6 कार्य दिवसों के भीतर अपने फैसले से स्थानीय निकाय को अवगत करा देगा.

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श्याम बेनेगल समिति ने सेंसर बोर्ड में सुधार हेतु रिपोर्ट सौंपी

श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आई एंड बी) द्वारा बनाई गयी समिति ने 26 अप्रैल 2016 को केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इस समिति का गठन सेंसर बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) में सुधार करने हेतु किया गया.
समिति को सिनेमेटोग्राफ अधिनियम, 1952 एवं सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) 1983 की नियमावली के तहत सिफ़ारिशों को एक समग्र ढांचे में प्रस्तुत करने के लिया कहा गया.
•    सीबीएफसी को फिल्म सर्टिफिकेशन बॉडी के रूप में कार्य करना चाहिए तथा उसे फिल्म के दर्शकों की आयु एवं वयस्कता के अनुसार सर्टिफिकेट तैयार करना चाहिए.
•    सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 की धारा 5 बी (1) बोर्ड को फिल्म पर रोक अथवा इनकार का अधिकार देता है. लेकिन यह निर्णय तभी लिया जा सकता है यदि फिल्म के आपत्तिजनक हिस्सों से देश की अखंडता और संप्रभुता पर आंच आती हो.
•    यह सर्टिफिकेशन को उस समय भी मना कर सकती है जब फिल्म में मौजूद सामग्री सर्टिफिकेशन की उच्चतम श्रेणी से अधिक हो.
•    सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने वाला फिल्मकार स्वयं बताए कि उसकी फिल्म के दर्शक कौन हैं और वह किस श्रेणी का सर्टिफिकेट चाहता है.
•    यदि किसी फिल्मकार को अपनी फिल्म के लिए समय से पहले सर्टिफिकेट चाहिए तो वह सामान्य से पांच गुना अधिक फीस देने के बाद मिलना चाहिए. टीवी पर फिल्म को दिखाने के लिए रिसर्टिफिकेशन का भी प्रावधान हो.
•    समिति की सिफारिशों में कहा गया कि बोर्ड में नौ क्षेत्रीय ऑफिसों से एक-एक प्रतिनिधि एवं एक अध्यक्ष होना चाहिए. इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय सलाहकार पैनल में पचास फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं की होनी चाहिए.
समिति का गठन जनवरी 2016 में सेंसर बोर्ड के परिचालन की देख रेख एवं इसमें आवश्यक सुधारों के लिए सिफारिशों हेतु किया गया. इस समिति को विश्व के उन देशों से प्रक्रिया को समझने के लिए कहा गया जहां फिल्मों में रचनात्मकता एवं कलात्मकता को विशेष महत्व दिया जाता है. समिति में श्याम बेनेगल के अतिरिक्त कमल हासन, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, पीयूष पांडे, गौतम घोष और भावना सोमय्या के अतिरिक्त सूचना प्रसारण मंत्रालय के मनोनीत अधिकारी भी शामिल हैं.

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हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन दिल्ली में आरंभ

हार्ट ऑफ़ एशिया (एचओए) सम्मेलन 26 अप्रैल 2016 को नई दिल्ली में आरंभ हुआ. इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज़ अहमद चौधरी भी शामिल थे.
इससे पहले 9 दिसम्बर 2015 को पाकिस्तान में पांचवे हार्ट ऑफ़ एशिया मंत्री स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया.
•    अफगानिस्तान में विकास कार्यो हेतु निरंतर, प्रगतिशील दृष्टिकोण विकसित करने हेतु प्रयास करना.
•    इसका उद्देश्य अफगानिस्तान में शांति एवं सौहार्द को बढ़ावा देना है एवं विकास के ढांचागत कार्यों को सुचारू रूप से पुनःआरंभ करना है.
•    यह इस्ताम्बुल प्रोसेस का एक भाग है.
•    इस्ताम्बुल प्रोसेस की स्थापना 2 नवम्बर 2011 को क्षेत्रीय मुद्दों, विशेष रूप से सुरक्षा, अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से की गयी.
•    पहला एचओए मंत्री स्तरीय सम्मेलन 12 नवम्बर 2011 को इस्ताम्बुल, टर्की में आयोजित किया गया.
•    दूसरा एचओए मंत्री स्तरीय सम्मेलन 14 जून 2012 को काबुल में आयोजित किया गया.
•    तीसरा एचओए मंत्री स्तरीय सम्मेलन 26 अप्रैल 2013 को कजाखिस्तान में आयोजित किया गया.
•    चौथा एचओए मंत्री स्तरीय सम्मेलन 31 अक्टूबर 2014 को बीजिंग, चीन में आयोजित किया गया.
•    पांचवां एचओए मंत्री स्तरीय सम्मेलन 9 दिसम्बर 2015 को इस्लामाबाद, पाकिस्तान में आयोजित किया गया.
•    इसमें भाग लेने वाले 14 देश हैं - अफगानिस्तान, अजरबैजान, चीन, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, तजाकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात. इसमें शामिल सहयोगी देश हैं - ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, मिस्र, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, इराक, जापान, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन, अमेरिका एवं यूरोपियन यूनियन.
•    प्रोसेस में शामिल सहयोगी देश हैं - ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, मिस्र, यूरोपीय संघ, फ्रांस, फिनलैंड, जर्मनी, इराक, इटली, जापान, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका.

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लोकसभा द्वारा सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक-2016 पारित किया गया

लोकसभा में 25 अप्रैल 2016 को सिख गुरुद्वारा (संधोधन) विधेयक 2016 पारित किया गया. इस विधेयक को राज्य सभा द्वारा 16 मार्च 2016 को ही पारित कर दिया गया था. इसका उद्देश्य सिख गुरुद्वारा विधेयक 1925 में संशोधन करना है जो 8 अक्टूबर 2003 से लागू है.
1925 के अधिनियम के अनुसार कोई भी सिख व्यक्ति जिसकी आयु 21 वर्ष या इससे अधिक है वह एसजीपीसी के लिए मतदान कर सकता है. हालांकि, जो व्यक्ति शेव करता है अथवा बाल कटवाता है उसे इस मतदान प्रक्रिया से वंचित रखा गया.
वर्ष 1944 में इसमें संशोधन करके सहजधारी सिखों, जो दाढ़ी कटाते हैं अथवा बाल कटवाते हैं उन्हें भी मतदान का अधिकार दिया गया.अब इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा.
•    इसके तहत सहजधारी सिखों को 1944 में गुरूद्वारा प्रबंधक समिति सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में दिए गए अधिकार से वंचित होना पड़ेगा.
•    इससे पहले सहजधारी सिख शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के लिए 1949 से मत दे रहे हैं.
•    इस अधिसूचना को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 20 दिसम्बर 2011 को खारिज कर दिया था. संशोधन करने का अंतिम निर्णय उन्होंने विधायिका पर छोड़ दिया था.
•    इससे पहले, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 10 मार्च 2016 को सिख गुरुद्वारा विधेयक-1925 में 8 अक्टूबर 2003 को संशोधन हेतु मंजूरी दी.
•    सिख गुरुद्वारा विधेयक-1925 के अनुसार जो सिख धर्म के मौलिक सिद्धांतों को मानते हैं उन्हें ही समिति चुनाव लड़ने का अधिकार है. वर्ष 1944 में किये गये संशोधन के बाद सहजधारी सिखों को भी वोटिंग का अधिकार दिया गया.
सहजधारी वह व्यक्ति है जिसने सिख धर्म को अपनाया है लेकिन इसके मूल सिद्धांतों को नहीं अपनाया है. वे सिख गुरुओं द्वारा दी गयी शिक्षाओं का पालन करता हो. 
सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के अनुसार सहजधारी सिख है: : (i) जो सिख रीति-रिवाजों को निभाता है, (ii) जो तम्बाकू एवं हलाल मीट नहीं खाता (iii) जिसे धर्म का अपमान करने पर धर्म से निष्कासित नहीं किया गया हो (iv) जो सिख धर्म के मूल मन्त्र का उच्चारण कर सकता हो.

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रियो निशानेबाजी वर्ल्ड कप में भारत के मैराज अहमद खान ने स्कीट प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता

भारत के निशानेबाज मैराज अहमद खान ने 25 अप्रैल 2016 को ब्राजील के रियो डी जेनेरो शहर में चल रहे आईएसएसएफ निशानेबाजी वर्ल्ड कप के पुरुषो के स्कीट प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता.
विश्व कप में स्कीट में यह भारत का पहला पदक है.
40-वर्षीय मैराज ने स्वर्ण पदक के मुकाबले में कुल 14 स्कोर किया लेकिन शूट आफ में स्वीडन के मार्कस स्वेनसन से 2-1 से हार गए. इटली के तमारो कासांद्रो ने कांस्य पदक जीता.
मैराज ने अंतिम चरण के क्वालिफायर राउंड में 125 में से 122 शॉट लगाकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था. वह छह निशानेबाजों में दूसरे स्थान पर रहे थे.
निशानेबाजी वर्ल्ड कप के कुल 15 स्पर्धाओं के लिए भाग ले रहे 88 देशों में से 23 देश ही पदक जीतने में कामयाब रहे जिसमें भारत 14वें स्थान पर रहा.
• मैराज अब तक 26 विश्व कप खेल चुके हैं और यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.
• उन्होंने 2010 राष्ट्रमंडल निशानेबाजी चैम्पियनशिप में टीम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था.
• इस साल वह ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले भारत के पहले स्कीट निशानेबाज भी बने. उन्होंने इटली के लोनातो में आईएसएसएफ शाटगन विश्व कप में छठे स्थान पर रहकर ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया था.
• मैराज अहमद खान उत्तर प्रदेश के खुर्जा के रहने वाले है.

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ईपीएफओ पर 8.7 प्रतिशत ब्यााज को मिली मंजूरी

वित्त मंत्रालय ने सोमवार इपीएफओ में जमा भविष्य निधी पर 8.7 प्रतिशत ब्याज को मंजूरी दे दी है। 
•    हालांकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी यानी सीबीटी ने फरवरी में सरकार को साल 2015-16 के लिए ईपीएफओ पर ब्याज दर 8.8 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी।
•    लेकिन सरकार ने इपीएफओ के अंतर्गत 8.7 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया है जिससे करीब 5 करोड़ पेंशनधारी लाभान्वित होंगे।
•    श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में इसकी जानकारी दी। ऐसा पहली बार है जब सरकार ने सीबीटी की सिफारिशों को ना मानते हुए अपने अनुसार इपीएफओ की ब्याज दरों में परिवर्तन का फैसला किया है।
•    संभवत: यह पहला अवसर है जबकि वित्त मंत्रालय ने सीबीटी की सिफारिश नहीं मानी है और अंशधारकों को देय ब्यज में कमी की है. 
•    ईपीएफओ ने 2013-14 और 2014-15 में 8.75 प्रतिशत का ब्याज दिया था. वर्ष 2012-13 के 8.5 प्रतिशत तथा 2011-12 के 8.25 प्रतिशत ब्याज दिया गया था. 
•    ईपीएफओ के सितंबर में लगाये गये अनुमान के आधार पर कहा गया था कि निकाय अंशधारकों को वर्ष 2015-16 के लिए आसानी से 8.95 प्रतिशत तक का ब्याज दे सकता है और उसके बाद भी उसके पास 100 करोड रुपये का अधिशेष बचेगा.

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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सहपेडिया नामक संस्कृतिकोश पोर्टल आरंभ किया

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 23 अप्रैल 2016 को Sahapedia.org नाम से भारत का पहला ऑनलाईन संस्कृतीकोश पोर्टल आरंभ किया.
यह भारत के विविध विरासत पर संसाधनों का एक संग्रह है. यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसका संचालन टीसीएस के पूर्व अध्यक्ष एस रामादोराई कर रहे हैं. वे राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी के प्रमुख भी हैं.
इसका उद्देश्य भारतीय लोगों को यहां की परम्पराओं, दृश्य कला, कला, साहित्य और भाषा से अवगत कराना है. इसे कहीं से भी ऑनलाइन देखा जा सकता है तथा यह आधुनिक काल में भारत की परम्परा एवं इतिहास के महत्व को दर्शाता है.
•    यह भारत की कला, संस्कृति और भारत की विरासत पर आधारित ऑनलाइन पोर्टल है.
•    सह, जिसे संस्कृत भाषा से लिया गया है, इसका अर्थ है एकसाथ रहना. इसका महत्व भारत की विविधता भरी सांस्कृतिक धरोहरों से है.
•    इसमें कला, संगीत, सिनेमा, नृत्य, वास्तुकला, पर्यावरण, व्यंजन एवं अन्य ऐतिहासिक धरोहरों पर प्रकाश डाला गया है.
•    इसमें विभिन्न लेख, विडियो, साक्षात्कार एवं चित्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
•    इसमें मौजूद अधिकतर लेख मल्टीमीडिया मोड्यूल से सम्बंधित हैं.

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राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस प्रत्येक वर्ष 24 अप्रॅल को मनाया जाता है। 
पंचायती राज पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम, तहसील, तालुका और ज़िला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था अस्तित्व में रही है, भले ही इसे विभिन्न नाम से विभिन्न काल में जाना जाता रहा हो।
•    पंचायती राज व्यवस्था को कमोबेश मुग़ल काल तथा ब्रिटिश काल में भी जारी रखा गया। 
•    ब्रिटिश शासन काल में 1882 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। 
•    ब्रिटिश शासकों ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की स्थिति पर जाँच करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफ़ारिश करने के लिए 1882 तथा 1907 में शाही आयोग का गठन किया। 
•    इस आयोग ने स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया, जिसके कारण 1920 में संयुक्त प्रान्त, असम, बंगाल, बिहार, मद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए क़ानून बनाये गये। 
•    स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान भी संघर्षरत लोगों के नेताओं द्वारा सदैव पंचायती राज की स्थापना की मांग की जाती रही।

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