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वित्त वर्ष की व्यावहारिकता परखने के लिए आचार्य समिति का गठन किया गया

केंद्र सरकार ने 6 जुलाई 2016 को नए वित्त वर्ष की व्यावहारिकता परखने के लिए एक समिति का गठन किया.

•    चार सदसीय समिति की अध्यक्षता मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य करेंगे. इस समिति को 31 दिसम्बर 2016 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है.
•    इस समिति के अन्य सदस्य हैं – पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व वित्त सचिव पीवी राजारमन, पॉलिसी रिसर्च केंद्र के वरिष्ठ वक्ता डॉ राजीव कुमार.
•    समिति केंद्र और राज्य सरकारों की प्राप्तियों और व्यय के सटीक आकलन की दृष्टि से वित्त वर्ष की उपयुक्तता, विभिन्न कृषि फसलों के अंतराल, कार्यकारी सत्र (वर्किंग सीजन) और कारोबार पर इसके प्रभावों के बारे में विचार विमर्श करेगी.
•    समिति को कहा गया है कि वह इन सभी विषयों पर विचार करने के बाद देश के लिए उपयुक्त नया वित्त वर्ष शुरु करने की तारीख की सिफारिश कर सकती है.
•    समिति यह भी बताएगी कि वित्त वर्ष में बदलाव कब से किया जाए और जब तक नया वित्त वर्ष शुरु न हो तब तक कर तथा अन्य मामलों के संबंध में क्या व्यवस्था अपनायी जाए.
•    पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए की पहली सरकार ने शाम को बजट पेश किए जाने की परंपरा बदली थी. 
•    वर्ष 2000 से पहले तक अंग्रेजों की परंपरा का पालन करते हुए आजादी के बाद से ही सरकार अपना बजट फरवरी की अंतिम तारीख को शाम साढ़े पांज बजे पेश करती रही है लेकिन वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने इस परंपरा को समाप्त कर प्रात: 11 बजे संसद में बजट पेश करना शुरू किया. 
•    इसके पीछे यही तर्क दिया गया था कि देश की अपनी परिस्थितियों के अनुसार बजट पेश करने का वक्त निर्धारित करना चाहिए. यही तर्क वित्त वर्ष में बदलाव को लेकर भी दिया गया.

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