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दुनिया की सबसे लम्बी रेल सुरंग स्विट्ज़रलैंड में खुली

दुनिया की सबसे लंबी और गहरी रेल सुरंग का बुधवार को इनॉगरेशन हो गया। इसे बनाने में करीब दो दशक लगे। 57 किमी लंबी ये गोटहार्ड बेस सुरंग स्विट्जरलैंड के यूरी के सेंट्रल कैंटन के अर्स्टफेल्ड से शुरू होकर सदर्न टिसिनो कैंटन के बोडियो तक चलेगी। इससे ज्यूरिख से नॉर्थ इटली के मिलान के बीच अब दो घंटे 40 मिनट का समय लगेगा। इस ट्रैक से रोजाना 300 से ज्यादा ट्रेनें गुजरेंगी। 
•    इस रेल सुरंग की लंबाई 57 किमी है।
•    इससे रोजाना 260 मालगाड़ियां और 65 पैसेंजर ट्रेनें गुजरेंगी।
•    इन ट्रैक पर ट्रेन 200 किमी/घंटे की स्पीड से दौड़ सकेंगी। इस सुरंग में दिसंबर तक सर्विसेस शुरू हो जाएंगी।
•    यह सुरंग सी लेवल से 550 मीटर ऊपर और स्विट्जरलैंड के सबसे ऊंचे माउंटेन क्रेस्ट से 2300 मीटर नीचे है।
•    यह सुरंग आल्प्स पहाड़ों के 2.3 किमी नीचे बनी है।
•    पहाड़ों के ऊपर का तापमान जीरो डिग्री और सुरंग के अंदर 46 डिग्री रहता है।
•    सुरंग के ट्रैक के स्लैब को बनाने के लिए 125 मजदूरों ने 43800 घंटों तक काम किया।
•    ज्यूरिख से नॉर्थ इटली के मिलान के बीच अब 2 घंटे चालीस मिनट का समय लगेगा। यह पहले के मुकाबले एक घंटे कम होगा।
•    इस सुरंग को 2600 लोगों ने 17 साल तक लगातार काम कर करके बनाया।
•    इस नए रेल ट्रैक को बनाने का मकसद रेल भाड़े को कम करना है।
•    इसके अलावा, इसमें से ज्यादा से ज्यादा भारी सामान ले जाया सकेगा। इससे रोड ट्रांसपोर्ट पर दबाव कम हो जाएगा। इससे पॉल्यूशन भी कम होगा।
•    स्विस फेडरल रेल सर्विस के मुताबिक, इस लाइन पर 9 हजार से 2020 तक 15 हजार पैसेंजर ट्रैवल करेंगे।
यूरोपियन यूनियन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर वायलेटा बुल्क ने पिछले हफ्ते इस सुरंग को यूरोप के लिए 'गाडसेंड' बताया, जो रोटरडैम और एन्टर्प को एड्रियाटिक के पोर्ट से जोड़ेगी।
•    1947 में सबसे पहले स्विस इंजीनियर कार्ल एडवर्ड ग्रूनर ने इसकी पहली डिजाइन बनाई थी।
•    प्रोजेक्ट की बढ़ती गई कास्ट, प्रॉसेस में देरी और दूसरी परेशानियों की वजह से ये प्रोजेक्ट 1999 तक टलता गया।
•    तब से 17 साल में करीब 80 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से यह सुरंग बनी है।
•    इसे बनाने में इंजीनियर्स को करीब 73 तरह के रॉक्स को ब्लास्ट करना पड़ा। इसमें कई हार्ड ग्रेनाइट और कई सॉफ्ट थे।
28 मिलियन टन रॉक्स को टनल के निकाला गया। इसके कन्स्ट्रक्शन के दौरान 9 वर्कर्स की मौत हुई।
•    दिसंबर में इस रूट पर सर्विसेस शुरू हो जाएंगी। ज्यूरिख से उत्तरी इटली के मिलान के बीच दूरी कम हो जाएगी। यह सफर दो घंटे चालीस मिनट का हो जाएगा।
लोगों का करीब एक घंटे का समय बचेगा।
•    गोटहार्ड रेल सुरंग के इनॉगरेशन के बाद यह जापान की 53.9 किमी लंबी सीकान सुरंग को पीछे छोड़ देगी।
•    इंग्लैड और फ्रांस को जोड़ने वाली 50.5 किमी लंबी चैनल सुरंग अब तीसरे नंबर पर चली जाएगी।

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चीन प्रक्षेपित करेगा पहला क्वांटम संचार उपग्रह

चीन जुलाई महीने में अपना पहला प्रायोगिक क्वांटम संचार उपग्रह प्रक्षेपित करेगा। 
•    यह ऐसा उपग्रह है, जिससे होने वाले संप्रेषणों को न तो अवरुद्ध किया जा सकेगा और न ही इससे जानकारी हासिल की जा सकेगी। 
•    यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑफ चाइना के प्रोफेसर पैन जियानवेई ने बताया कि क्वांटम संप्रेषण की खासियत इसकी बेहद उच्च स्तरीय सुरक्षा है, क्योंकि क्वांटम फोटॉन को न तो अलग किया जा सकता है और न ही इसकी प्रतिकृति बनाई जा सकती है।
•    चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस की परियोजना में उपग्रह का प्रक्षेपण और क्वांटम संप्रेषण के लिए जमीन पर चार स्टेशन व एक स्पेस क्वांटम टेलीपोर्टेशन एक्सपेरीमेंट स्टेशन का निर्माण शामिल है।
•    सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि परियोजना के पूरे हो जाने पर उपग्रह जमीन पर स्थित दो स्टेशनों के साथ एक ही समय में क्वांटम ऑप्टिकल संपर्क स्थापित कर पाएगा। 
•    पहला क्वांटम उपग्रह विकसित करने और उसका निर्माण करने में पांच साल लगे हैं। इसे जून में जियुक्वान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र में भेज दिया जाएगा।

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हिरोशिमा का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने ओबामा

हिरोशिमा का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति जापान के दौरे पर हैं .
•    ओबामा ने अमेरिकी परमाणु हमले में मारे गये लोगों को हिरोशिमा पीस मेमोरियाल पार्क में श्रद्धांजलि दी। 
•    ओबामा ने परमाणु हमले के दौरान जीवित बचे लोगों से मुलाकात भी की। 
•    हिरोशिमा की यात्रा करने वाले वो पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं। 
•    इससे पहले जिमी कार्टर ने हिरोशिमा का दौरा किया था लेकिन वे राष्ट्रपति पद से हटने के बाद वहां गए थे।
•    बता दें हिरोशिमा में छह अगस्त 1945 को पहला परमाणु बम गिराया गया था। \
•    इस हमले में लाखों लोग मारे गए थे। कई सालों तक विकिरण से यहां मौतें होती रही थी।
•    इसके तीन दिन बाद जापान के दक्षिणी शहर नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया था। 
•    इस हमले में 74 हजार लोग मारे गए थे। इसे दूसरे विश्वयुद्ध के निर्णायक कदमों में से एक माना जाता है।

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विश्व की सबसे बड़ी क्रूज जहाज " हारमनी ऑफ द सी " ने शुरू की अपनी पहली यात्रा

संसार की सबसे बड़ी क्रूज शिप हारमनी ऑफ द सी पहली यात्रा के आगाज़ के लगभग 70,000 लोग गवाह बने। 
•    जहाज 120,000 टन वजनी,  66 मीटर लम्बी है .
•    यह दुनिया का सबसे चौड़ा जहाज है जबकि इसकी लंबाई 362 मीटर है 
•    यह पेरिस के एफिल टावर से भी 50 मीटर की ऊंचाई पर है। 
•    हारमोनी ऑफ द सी को अमेरिका के रॉयल कैरेबियन क्रूज़ेज़ लि. के लिए बनाया गया है। 
•    इस तैरते हुए शहर में 16 डेक हैं जो कि 6360 यात्रियों और 2100 क्रू सदस्यों को ले जाने में सक्षम है। •    इससे पहले टाइटैनिक को सबसे बाद जहाज के रूप में जाना जाता है 
•    हॉलीवुड ने जब इस पर आधारित एक फिल्म बनाई उसके बाद टाइटैनिक को सभी जान गये । 
•    नए क्रुज़ में टाइटैनिक से बेहतर सुविधा, होने के साथ साथ आलिशान इंटीरियर का भी ध्यान रखा गया है . 
•    माना जा रहा है की इससे बड़ी जहाज का बन पाना लगभग नामुमकिन है 

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मलेशिया की महिलाओं ने दुनिया की सबसे लंबी गलीचे की बुनाई की

बोर्नियो, मलेशिया में 400 से अधिक महिला बुनकरों को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स खिताब से सम्मानित किया गया. हाथ से बानाए गये इस दुनिया के सबसे लम्बे गलीचे की लम्बाई करीब 1128.272 मीटर है •    गलीचे को स्थानीय संस्कृति और परंपरा के एक प्रतीक के रूप में बनाया गया था।
•    इसकी शुरुवात एक स्थानीय महिला संगठन पेंग दोह बेलगा ने की ।
•    पूरा गलीचा महिलाओं द्वारा हाथ से बुना गया था 
•    गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के मुताबिक इससे पहले भी एक ऐसा ही गलीचा था लेकिन उसकी लम्बाई मात्र 797.51 मीटर थी और ये स्वीडन में बनाया गया था 
•    मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक उष्णकटिबंधीय देश है। यह दक्षिण चीन सागर से दो भागों में विभाजित है।
•    मलय प्रायद्वीप पर स्थित मुख्य भूमि के पश्चिम तट पर मलक्का जलडमरू और इसके पूर्व तट पर दक्षिण चीन सागर है। 
•    देश का दूसरा हिस्सा, जिसे कभी-कभी पूर्व मलेशिया के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण चीन सागर में बोर्नियो द्वीप के उत्तरी भाग पर स्थित है। 
•    यह 13 राज्यों से बनाया गया एक एक संघीय राज्य है।

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अमेरिकी सदन ने भारत के साथ रक्षा संबंध बढ़ाने को दी मंजूरी

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने भारत के साथ रक्षा संबंध विकसित करने और रक्षा उपकरणों की बिक्री एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मामले में उसे अन्य नाटो सहयोगी देशों के साथ लाने के कदम के तहत एक द्विदलीय समर्थन वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है. 
•    भारत के साथ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने से जुड़े इस संशोधन को होल्डिंग और एमी बेरा का और सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस और इसी समिति के रैंकिंग सदस्य इलियट एंगल द्वारा प्रायोजित किया गया था.
•    भारत के लिए, यह विधेयक सरकार को प्रोत्साहित करता है कि वह मानवीय मदद और आपदा राहत, समुद्री डकैती से निपटने एवं मैरीटाइम जागरूकता जैसे साझा हितों वाले अभियानों के लिए अमेरिका के साथ संयुक्त नियोजन को अधिकृत करे.
•    राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व उम्मीदवार सीनेटर मार्को रुबियो इस सप्ताह इसके सह-प्रायोजक बन गए थे.

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भारत और स्लोवेनिया के बीच दोहरे कराधान निवारण संधि में संशोधन के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर

भारत और स्लोवेनिया के बीच दोहरे कराधान निवारण और एलजुबलजाना में आय पर टैक्स के संबंध में वित्तीय चोरी निषेध संधि में संशोधन के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए। 
•    भारत की ओर से स्लोवेनिया में भारत के राजदूत श्री सर्वजीत चक्रवर्ती और स्लोवेनिया की ओर से वहां के वित्त मंत्री श्री दुसान मरामोर ने हस्ताक्षर किए।
•    इस प्रोटोकॉल से कर संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान के वर्तमान ढांचे का दायरा बढ़ेगा और दोनों देशों के बीच कर की चोरी और कर निवारण पर अंकुश लगेगा और करों की उगाही में पारस्परिक सहायता मिलेगी।
•    स्लोवेनिया आधिकारिक तौर पर 'स्लोवेनिया गणराज्य', मध्य यूरोप में स्थित आल्प्स पर्वत से लगा हुआ भूमध्य की सीमा से लगा देश है। 
•    स्लोवेनिया की सीमा पश्चिम में इटली, दक्षिण-पश्चिम में एड्रियाटिक सागर, दक्षिण और पूर्व में क्रोएशिया, उत्तर-पूर्व में हंगरी और उत्तर में आस्ट्रिया स्थित है। 
•    देश की राजधानी और सबसे बड़ा शहर ल्युब्ल्याना है। स्लोवेनिया 20,273 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ देश है, जिसकी जनसंख्या लगभग 20 लाख है। 
•    देश की बहुसंख्यक जनसंख्या स्लोवेनियाई भाषा का प्रयोग करती है, जो देश की आधिकारिक भाषा भी है। 
•    इसके अलावा स्थानीय स्तर पर संरक्षित भाषा हंगरी और इटालियन है।

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साई इंग वेन ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति बनी

ताइवान में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) की नेता साई इंग वेन ने मई 2016 में देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है.
•    साई ने इस साल जनवरी में हुये चुनाव में उन्होंने डीपीपी पार्टी को बड़ी जीत दिलाई थी. उन्हें अंतमुर्खी लेकिन, दृढ़ इच्छाशक्ति वाला नेता माना जाता है.
•    ताइवान में पिछले 70 साल में डीपीपी मात्र दूसरी बार सत्ता में आई है. कौमिंतांग दल का ही इस दौरान अधिकतर सत्ता पर कब्जा रहा है.
•    डीपीपी पारंपरिक रूप से चीन से आजादी की समर्थक रही है. चुनावों में पार्टी की जीत से चीन के साथ ताइवान के संबंध शिथिल पड़े हैं क्योकि चीन ताइवान को अपने ही प्रांत में गिनता है जो उससे अलग हो गया है.
•    साई चीन के साथ यथास्थिति बनाये रखने के पक्ष में हैं और ताइवान की मंद पड़ती अर्थव्यवस्था और चीन के साथ संबंध उनके सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं.
•    वेन का जन्म 31 अगस्त 1956 को थाताइपे, ताइवान में हुआ.
•    इन्होंने नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी तथा लंदन के प्रतिष्ठित लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की.
•    राजनीति में आने के पहले यह प्राध्यापक थीं.
•    वर्ष 2012 के चुनाव में यह डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति की उम्मीदवार थीं लेकिन इसमें पराजित हो गयीं थीं. इसमें इन्हें 45 % ही वोट मिले थे.

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चीन का रिमोट सेंसिंग उपग्रह याओगान -30 प्रक्षेपित

चीन ने 15 मई को 10 बजकर 43 मिनट पर लांच मार्च रॉकेट के जरिये याओगान 30 रिमोट सेंसिंग उपग्रह प्रक्षेपित किया ।

•    यह उपग्रह मुख्य तौर पर वैज्ञानिक प्रयोग, भूमि संसाधन सर्वेक्षण, ग्रामीण उत्पादों का मूल्यांकन तथा आपदा निवारण जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाएगा ।
•    नम्बर 30 रिमोट सेंसिंग उपग्रह और इसका प्रक्षेपण करने वाला रॉकेट चीन के तुंगफांगहूंग उपग्रह लिमिटेड कंपनी और शांघाई अंतरिक्ष उड्डयन अनुसंधानशाला द्वारा उत्पादित किये गये हैं ।
•    लांग मार्च-2डी रॉकेट के जरिए याओगान-30 को ले जाया गया।
•    यह चीन के लांच मार्च रॉकेट शृंखला द्वारा किया गया 227वां प्रक्षेपण है ।
•    चीन ने वर्ष 2006 में याओगान श्रृंखला का प्रथम उपग्रह प्रक्षेपित किया था।
•    अब तक इस श्रंखला के 29 उपग्रह छोड़े जा चुके हैं.
•    चीन इन उपग्रहों के माध्यम से न सिर्फ अपनी ज़मीन सुरक्षित रखना चाहता है बल्कि कई संसाधनों के उत्पाद और किसी तरह के आपदा को रोकने का काम कर रही है .

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मंजीत सिंह को राष्ट्रपति की सलाहकार परिषद का सदस्य नियुक्त किया गया

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 12 मई 2016 को भारतीय-अमेरिकी इंजिनियर मंजीत सिंह को राष्ट्रपति की सलाहकार परिषद का सदस्य नियुक्त किया. 
उनकी यह नियुक्ति आस्था आधारित और पड़ोस-भागीदारी नीति के तहत की गयी.इस घोषणा से पहले राष्ट्रपति ने अन्य विभिन्न पदों पर भी नियुक्तियों की घोषणा की.
•    सिंह एजीलियोस के अध्यक्ष हैं, यह एक सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग फर्म है जिसकी स्थापना 2013 में की गयी.•    उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह फाउंडेशन में भी बोर्ड मेम्बर के रूप में कार्य किया•    उन्होंने बोम्बे यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री प्राप्त की.•    उन्होंने स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क, अमेरिका से विज्ञान विषय में स्नातकोतर डिग्री हासिल की.

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