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स्पेस एक्स ने सफलतापूर्वक जापानी JCSAT -14 उपग्रह का प्रक्षेपण किया

6 मई 2016 को स्पेस एक्स का सफलतापूर्वक केप केनवरल , फ्लोरिडा से फाल्कन 9 रॉकेट के साथ JCSAT -14 का प्रक्षेपण किया गया।
•    JCSAT -14 को 15 साल के लिए बनाया गया है
•    यह 22000 मील की ऊंचाई पर भू-समकालिक कक्षा में जाएगी
•    स्पेस एक्स के पिछले प्रक्षेपण के मुकाबले कहीं ज्यादा सफल रही 

•    स्पेस एक्स पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण प्रणाली स्पेस एक्स द्वारा विकसित की गई एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण प्रणाली है। 
•    21 दिसंबर 2015 को स्पेस एक्स ने फाल्कन 9 प्रक्षेपण यान के पहले चरण के बूस्टर को प्रक्षेपण के बाद फिर से जमीन पर उतारा।
•    इससे पहले अमरीकी कंपनी स्पेस एक्स ने एक मानवरहित रॉकेट को पृथ्वी पर सुरक्षित उतारने में कामयाबी हासिल की थी 
•    इससे पहले इसने 11 सैटेलाइटों को अपनी कक्षाओं में भेजा था.
•    सोमवार को फ्लोरिडा में फाल्कन-9 नाम का ये रॉकेट अपने लॉंच पैड से क़रीब दस किलोमीटर दूर उतरा.

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चावल प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना कर्नाटक में

मई 2016 में कर्नाटक सरकार ने गंगावती में चावल प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना का फैसला किया।
•    मक्का प्रौद्योगिकी पार्क भी हावेरी जिले में रानेबेन्नुर में स्थापित किया जाएगा।
•    इन पार्कों को सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत स्थापित किया जाएगा
•    चावल प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना से बल्लारी, रायचूर और कोप्पल जिलों में में धान की खेती करने में मदद मिलेगी।
•    यादगीर जिले और विजयपुरा बागलकोट जिलों में शाहपुर और सुरपुर  तालुकों में ऊपरी कृष्णा प्रोजेक्ट की कमान क्षेत्रों में धान की खेती करने में मदद मिलेगी।
•    पार्क में चावल का आटा, चावल रवा , चावल की भूसी का तेल , नूडल्स, चावल आधारित शराब , पशु और पोल्ट्री फीड के लिए सुविधाएं होंगी ।
•    रानेबेन्नु में मक्का प्रौद्योगिकी पार्क 32000 टन की भंडारण क्षमता का  होगा।
•    गंगावती रायचूर जिले में एक बड़ा वाणिज्यिक शहर है।
•    यह क्षेत्र जनसंख्या के मामले में एक सबसे बड़ा शहर है
•    यह अक्सर कर्नाटक का धान का कटोरा शहर के रूप में जाना जाता है।

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चीनी कीट चांस मेगास्टिक विश्व का सबसे लम्बा कीट घोषित

पश्चिमी चीन में स्थित कीट संग्रहालय द्वारा 5 मई 2016 को एक स्टिक कीट को विश्व का सबसे लम्बा कीट घोषित किया गया, इसकी लम्बाई 62.4 सेंटीमीटर दर्ज की गयी. 
•    इस कीट ने अभी तक दर्ज 807625 कीटों की लम्बाई का रिकॉर्ड तोड़ा.
•    फोबायेटिकस चानी अथवा चान्स मेगास्टिक की खोज चीन के दक्षिणी प्रांत गौन्ग्ज़ी में की गयी.
•    इससे पहले वर्ष 2008 में मलेशिया के स्टिक कीट के नाम 56.7 सेंटीमीटर लम्बाई का रिकॉर्ड था. 
•    इसे लंदन के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में रखा गया है.
•    फोबायेटिकस चानी अथवा चान्स मेगास्टिक कीट श्रेणी का एक जीव है.
•    इसका नाम मलेशिया के प्रकृतिविशेषज्ञ दातुक चान चियु लुन के नाम पर रखा गया है.
•    इसके जीव विज्ञान के विषय में अभी तक बहुत कम जानकारी प्राप्त की जा सकी है. 
•    ऐसा माना जा रहा है कि यह वर्षावनों में पाया जाता है.
•    इसे विश्व की टॉप 10 नयी प्रजातियों की खोज में चयनित किया गया.
इन प्रजातियों को बीबीसी टेलीविज़न डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाया गया.

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वैज्ञानिकों ने विश्व का सबसे छोटा इंजन विकसित किया

कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विश्व के सबसे छोटे इंजन का विकास किया. 
प्रकाश से चलने वाला यह इंजन छोटे मशीनों के विकास में मददगार साबित हो सकता है. 
प्रोफेसर जेरेमी बॉमबर्ग ने इस उपकरण का नाम ऐंट रखा है.
• इससे पानी के अंदर दिशा की पहचान करने, आसपास के वातावरण को समझने या जीवित कोशिकाओं में प्रविष्ट कराकर बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकती है.
• इस उपकरण का निर्माण सोने के छोटे आवेशित कणों से किया गया है.
• जब लेजर की मदद से नैनो-इंजन को एक निश्चित तापमान तक गर्म किया जाता है तो यह सेकेण्ड के कुछ हिस्सों में ही बहुत मात्रा में प्रत्यास्थ ऊर्जा एकत्रित कर लेता है.
• उपकरण को गर्म करने पर पॉलीमर पानी ग्रहण कर लेता है और फैल जाता है एवं सोने के छोटे कण स्प्रिंग की तरह मजबूती एवं तेजी से फैल जाते हैं.
• बहुत अधिक बल का प्रयोग करने में सक्षम है.

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सीएआईपीईईएक्स, बादलों में वर्षा के गठन एवं बादलों के प्रजनन हेतु प्रक्रिया

सीएआईपीईईएक्स कृत्रिम बारिश का तरीका है जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री वाई एस चौधरी ने सीएआईपीईईएक्स शब्द के साथ संसद में प्रयोग किया गया.

4 मई 2016 को लोक सभा में मंत्री ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) बादलों में वर्षा की प्रक्रिया एवं गठन को समझने के लिए अनुसंधान कर रहा है.
•इस अनुसंधान के तहत वायु के अवलोकन से बादलों के गठन एवं उसके प्रभाव को बताया गया.
•इस कार्यक्रम में राडार, भूमि पर मौजूद अन्य उपकरण एवं वायु आधारित प्लेटफार्म उपयोग किये गये हैं. 
•बादलों को उपजाने से पहले अथवा उनके प्रजनन से पहले विमान द्वारा अवलोकन करना होगा एवं बाद में पर्यावरण की स्थिति एवं बीजारोपण की सामग्री का भी निरीक्षण करना होगा.
•इन प्रक्रियाओं एवं अनुसंधान में एयरोसोल, क्लाउड ड्रॉपलेट्स, बारिश की बूंदे एवं बर्फ के नमूने आदि शामिल हैं.
•अनुसंधान डाटा के अनुसार इस शोध से मौसम की भविष्यवाणी करने में भी सहायता मिलेगी.
इस प्रकार की कृत्रिम बारिश का उपयोग सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराने के लिए नहीं किया जा सकता. बल्कि इनका उपयोग बादलों का घनत्व बढ़ाकर अथवा पहले से मौजूद बादलों में बारिश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.

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चीन ने ग्रेफीन से बनाया इलेक्ट्रानिक पेपर

चीन के शोधकर्ताओं ने ग्रेफीन से इलेक्ट्रॉनिक पेपर बनाने में कामयाबी हासिल की है। 
•    ग्रेफीन ज्ञात पदार्थों में सबसे मजबूत और हल्का है। 
•    गुआंगझाऊ ओईडी टेक्नोलॉजीज के ने चोंगकिंग प्रांत में स्थित एक कंपनी के साथ मिलकर ग्रेफीन इलेक्ट्रानिक पेपर बनाया है।
•    ग्रेफीन की एक परत महज 0.335 नैनोमीटर मोटी होती है। यह सुचालक होता है। 
•    सामान्य इलेक्ट्रानिक पेपर के मुकाबले ग्रेफीन इलेक्ट्रॉनिक पेपर ज्यादा लचीला होगा। 
•    सामान्य इलेक्ट्रानिक पेपर में कीमती धातु इंडियम का इस्तेमाल किया जाता है। 
•    एक साल के अंदर पेपर का उत्पादन शुरू हो जाएगा। 
•    ग्रेफीन की मदद से कठोर या लचीला डिस्प्ले भी बनाया जा सकता है। 
•    इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद जैसे ई-रीडर्स और पहनने योग्य स्मार्ट डिवाइस का भी निर्माण संभव है।

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आईआईटी शोधकर्ता के. अशोक कुमार ने अंतरराष्ट्रीय पौध पोण विद्वान पुरस्कार जीता

आईआईटी खड़गपुर (केजीपी) के शोधकर्ता के. अशोक कुमार ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पौध पोषण विद्वान पुरस्कार जीता. 
•    वे बंगाल में आईआईटी कृषि और खाद्य इंजीनियरिंग विभाग में शोध विद्वान हैं. उन्हें हाल ही में अमेरिका स्थित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पौध पोषण संस्थान (आईपीएनआई) द्वारा सम्मानित किया गया. इस पुरस्कार में 2000 अमेरिकी डॉलर और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है. 
•    अशोक अभी चने के कार्बनिक एवं अकार्बनिक पोषक तत्वों के प्रबंधन एवं अवशिष्ट 
•    प्रभाव के तुलनात्मक आकलन पर पीएचडी कर रहे हैं. इस शोध का उद्देश्य मृदा के पोषक तत्वों का पता लगाना है. 
•    उनके शोध द्वारा आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र्स का सही मात्रा में उपयोग सुनिश्चित किया जायेगा विशेषकर धान की फसल के दौरान इसके उपयोग के लिए मात्रा निर्धारित करना आवश्यक है. इसके उपयोग से चावल एवं चने की फसल में 10 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है.
•    इसके अतिरिक्त आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र के प्रयोग से धान का पोषण एवं पकाते समय उसकी गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है.
•    अंतरराष्ट्रीय पौध पोषण संस्थान (IPNI) के निदेशक मंडल द्वारा पौध पोषण क्षेत्र में कार्यरत शोधकर्ताओं एवं छात्रों को यह पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं. इसे आईपीएनआई विज्ञान पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है.

•    यह पौध पोषण से सम्बन्धित स्नातक छात्रों एवं शोधकर्ताओं को दिया जाने वाला पुरस्कार है. पुरस्कार के लिए उन छात्रों एवं विद्वानों का चयन किया जाता है जिनके द्वारा द्वारा प्रस्तावित शोध को आईपीएनआई की प्रासंगिकता प्राप्त हो.
•    मृदा एवं संयंत्र विज्ञान में कृषि विज्ञान, बागवानी, पारिस्थितिकी, मिट्टी की उर्वरता, मृदा रसायन, फसल फिजियोलॉजी आदि विषयों में अध्ययन कर रहे छात्रों को इस पुरस्कार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

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जापान के पहले स्टील्थ X-2 लड़ाकू जेट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी

जापान ने स्टील्थ लड़ाकू जेट लड़ाकू जेट X-2 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया 
•    इस घरेलु विमान का सफलतापूर्वक परिक्षण इसके पहले उड़ान के बाद सफल माना गया 
•    जापान ने ये टेक्नोलॉजी खुद ही विकसित की है . 
•    इस टेक्नोलॉजी के बाद जापान अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बन गया है जिसके पास स्टील्थ टेक्नोलॉजी है 
•    X-2 जेट प्रोटोटाइप ने मध्य जापान में नागोया हवाई अड्डे से उड़ान भरी। 
•    25 मिनट की उड़ान के बाद ये बिना किसी परेशानी के ये उत्तर गिफू हवाई अड्डे पर उतरा 
•    यह रक्षा तकनीकी अनुसंधान और विकास संस्थान (TRDI) जापानी मंत्रालय के रणनीतिक परियोजना अनुसंधान प्रयोजनों के लिए है।
•    विमान व्यापक रूप से जापान में शिनशिन (आत्मा) के रूप में जाना जाता है
•    लड़ाकू जेट 14.2 मीटर लंबी, 9.1 मीटर चौड़ा है और पंख 9.099 मीटर की है।
•    इसकी अधिकतम गति मैक 2.25 (2,475 Km/h) की है, 

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इसरो ने दुनिया का सबसे हल्का उष्मारोधी पदार्थ खोजा

•    बेहद ऊंचाइयों पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर में तैनात सैनिकों के लिए पाकिस्तानी सेना की गोलियों से भी बड़ा दुश्मन है वहां का बेहद सर्द मौसम। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा अतंरिक्ष में इस्तेमाल के लिए विकसित की गई कुछ तकनीकों को यदि जल्द ही प्रभावी तरीके से हमारे सैनिकों की सुरक्षा में लगाया जाए, तो वहां मरने वाले सैनिकों की संख्या में बड़ी गिरावट आ सकती है।
•    इसरो ने दुनिया का सबसे हल्का उष्मारोधी पदार्थ खोजा है और उच्च क्षमता से लैस खोजी एवं बचाव बीकन (संकेत दीप) तकनीकें विकसित की हैं। ये सियाचिन जैसे इलाके में भारतीय सैनिकों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। 
•    1984 में भारत द्वारा इन बर्फीली चोटियों को अपने अधिकार में लिए जाने के बाद से अब तक वहां लगभग 1000 सैनिक जान गंवा चुके हैं। आधिकारिक रिकॉर्डों के मुताबिक इनमें से सिर्फ 220 सैनिक ही ऐसे थे, जिनकी मौत दुश्मन की गोलियों से हुई। 6000-7000 मीटर ऊंचाई पर खराब मौसम सैनिकों की मौत का एक बड़ा कारण है।
•    कई सुधारों के बावजूद, अब भी भारतीय सैनिक बहुत भारी कपड़े ही पहनते हैं। अब इसरो के वैज्ञानिकों ने एक बेहद हल्के वजन वाला पदार्थ विकसित किया है, जो एक प्रभावी ऊष्मारोधक (इंसुलेटर) की तरह काम करता है। 
•    हाथ में पकड़कर इस्तेमाल किया जा सकने वाला ‘खोज एवं बचाव’ रेडियो सिग्नल एमिटर (उत्सर्जक) सैनिकों के लिए एक अन्य उपयोगी उपकरण साबित हो सकता है। इसके सिग्नलों को उपग्रहों के जरिए पहचाना जा सकता है। इससे लापता या हिमस्खलन में दबे सैनिकों की स्थिति का प्रभावी ढंग से पता लगाने में मदद मिल सकती है।
•    जाने-माने रॉकेट वैज्ञानिक एवं तिरूवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक के. सिवान का कहना है कि उच्च स्तरीय अंतरिक्षीय अनुप्रयोगों के लिए विकसित किए गए इन पदार्थों और तकनीकों में थोड़े से सुधार के बाद इन्हें सामाजिक इस्तेमाल के लिए आसानी से तैयार किया जा सकता है।
•    कुछ ‘सिलिका एयरोजेल’ का इस्तेमाल क्रायोजेनिक इंजनों में द्रवित हाइड्रोजन और द्रवित ऑक्सीजन वाले टैंकों के ताप अवरोधन के लिए किया जा सकता है। चूं
•    इसका वजन कम है, ऐसे में इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में पहने जाने वाले स्पेस सूट बनाने में किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल भारतीय अंतरिक्षयात्री भविष्य में कर सकते हैं। 2018 में चंद्रमा की सतह पर उतरने वाले चंद्रयान-2 के साथ जाने वाली छोटी बग्गी में भी ‘सिलिका एयरोजेल’ का इस्तेमाल ऊष्मा रोधक के रूप में किया जा सकता है।
•    ‘सिलिका एयरोजेल’ की पतली परत खिड़कियों के शीशों पर चढ़ा दी जाती है तो प्रकाश तो आसानी से अंदर आएगा लेकिन गर्मी वहीं रुक जाएगी.

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