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प्रसिद्ध नाटककार और अभिनेता अच्युत लहकर का निधन

नाटककार और अभिनेता तथा असम के मोबाइल थिएटर आंदोलन के अच्युत लहकर का 12 जून 2016 को असम में निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे.
•    अच्युत लहकर का जन्म असम में वर्ष 1931 में हुआ था.
•    उन्हें मोबाइल थिएटर के असम के जनक के रूप में जाना जाता था.
•    वे अपने बचपन के दिनों से थिएटर के प्रति उत्साही था.
•    वे एक अग्रणी अभिनेता, नाटककार, निर्देशक और निर्माता थे तथा मोबाइल थिएटर मंच पर कई यादगार नाटकों का मंचन भी किये.
•    उन्होंने नटराज थिएटर 1963 में जो बाद में मोबाइल थिएटर आंदोलन एक सफल मनोरंजन उद्योग का आकार दिया तथा असम की पहली मोबाइल थिएटर कंपनी की स्थापना किया.
•    उन्होंने कुछ समय के लिए एक सचित्र पत्रिका दीपावली संपादित और प्रकाशित किया.
•    उन्हें कमल कुमारी राष्ट्रीय पुरस्कार से वर्ष 1997 में सम्मानित किया गया.
•    वे मंच प्रभाकर पुरस्कार, भाबेन बरुआ पुरस्कार और ब्रज नाथ सरमा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

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प्रसिद्ध आइस हॉकी खिलाड़ी गोर्दी होवे का निधन

कनाडा के प्रसिद्ध आइस हॉकी खिलाड़ी गोर्दी होवे का 88 वर्ष की अवस्था में बीमारी से 10 जून 2016 को निधन हो गया. 

•    मिस्टर हॉकी उनका उपनाम था. उस समय के वह सबसे बड़ी आइस हॉकी खिलाड़ियों में से एक माने जाते है.
•    उनका जन्म फ्लोरल सस्कैश्वन में 1928 में हुआ.
•    राष्ट्रीय हॉकी लीग (NHL) में वह 26 सत्रों में और विश्व हॉकी एसोसिएशन में छह सत्रों (WHA) में खेले.
•    उन्होंने स्टैनले कप खिताब हेतु चार बार डेट्रोइट रेड विंग्स का नेतृत्व किया.
•    वह अंक जुटाने के साथ कैरियर के लक्ष्यों को बखूबी अंजाम देते थे.
•    1971 में वह सेवानिवृत्त हुए और 1972 में उन्हें टोरंटो में हॉकी हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया.
•    2008 में आरम्भ हुआ एनएचएल लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रथम बार उन्हें ही दिया गया.

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प्रसिद्ध आइस हॉकी खिलाड़ी गोर्दी होवे का निधन

कनाडा के प्रसिद्ध आइस हॉकी खिलाड़ी गोर्दी होवे का 88 वर्ष की अवस्था में बीमारी से 10 जून 2016 को निधन हो गया. 
मिस्टर हॉकी उनका उपनाम था. उस समय के वह सबसे बड़ी आइस हॉकी खिलाड़ियों में से एक माने जाते है.
•    उनका जन्म फ्लोरल सस्कैश्वन में 1928 में हुआ.
•    राष्ट्रीय हॉकी लीग (NHL) में वह 26 सत्रों में और विश्व हॉकी एसोसिएशन में छह सत्रों (WHA) में खेले.
•    उन्होंने स्टैनले कप खिताब हेतु चार बार डेट्रोइट रेड विंग्स का नेतृत्व किया.
•    वह अंक जुटाने के साथ कैरियर के लक्ष्यों को बखूबी अंजाम देते थे.
•    1971 में वह सेवानिवृत्त हुए और 1972 में उन्हें टोरंटो में हॉकी हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया.
•    2008 में आरम्भ हुआ एनएचएल लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रथम बार उन्हें ही दिया गया.

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भारत के पहले मिस्टर यूनिवर्स मनोहर आइच का निधन

पॉकेट हरक्यूलिस के नाम से प्रसिद्ध बॉडीबिल्डर मनोहर आइच का 5 जून 2016 को कोलकाता में निधन हो गया. वे 104  वर्ष के थे. 
वर्ष 1952 में मनोहर आइच, स्वतंत्र भारत के पहले मिस्टर यूनिवर्स बने थे. चार फुट 11 इंच की लंबाई वाले मनोहर आइच को पॉकेट हरक्यूलिस भी कहा जाता था.
एशियन गेम्स में तीन बार स्वर्ण पदक जीतने वाले आइच का सिद्धांत, ‘व्यायाम करो और खुश रहो’ का था.
•    7 मार्च 1914 को बंगाल के कुमिल्ला धामटी गांव (अब बांग्लादेश) में उनका जन्म हुआ था.
•    1950 में 36 वर्ष की आयु में उन्होंने मिस्टर हरक्यूलिस टाइटल जीता.
•    आइच ने 1952  में मिस्टर यूनिवर्स का ख़िताब अपने नाम किया.
•    वे 1942 में ब्रिटिश सेना में रॉयल एयर फोर्स में शामिल हुए थे. वहां एक ब्रिटिश अफसर को थप्पड़ मारने पर उन्हें जेल जाना पड़ा.
•    ब्रिटिश अफसर आर मार्टिन के प्रोत्साहन पर उन्होंने व्यायाम पर अधिक ध्यान देना शुरू किया.
•    उनके कद के कारण लोग उन्हें पॉकेट हरक्यूलिस भी कहते थे.

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वरिष्ठ अभिनेत्री सुलभा देशपांडे का निधन

प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं रंगमंच कलाकार सुलभा देशपांडे का 4 जून 2016 को मुंबई में निधन हो गया. वे 79 वर्ष की थीं.
उन्होंने मराठी और हिंदी रंगमंच के अलावा मराठी और हिंदी की कई फिल्मों में भी काम किया. उन्हें 1970 के दशक में एक्सपेरिमेंटल थिएटर के लिए भी जाना जाता है. 
•    वे भारतीय फिल्मों, रंगमंच एवं टेलीविजन की जानी-पहचानी कलाकार थीं.
•    उन्होंने मुंबई स्थित दादर के छबीलदास बाल विद्यालय से अध्यापक के रूप में अपना करियर आरंभ किया.
•    मराठी रंगमच के अतिरिक्त उन्होंने हिंदी रंगमंच में भी काम किया. उन्होंने बॉलीवुड की 73 से अधिक फिल्मों में भी अभिनय किया.
•    उन्होंने घरेलू सिनेमा जैसे भूमिका, अरविन्द देसाई की अजीब दास्तान एवं गमन में अभिनय किया.
•    उन्होंने वर्ष 1971 में अपने पति अरविन्द देशपांडे के साथ मिलकर अविष्कार नामक रंगमंच ग्रुप आरंभ किया.
•    इसके उपरांत उन्होंने चन्द्रशाला नामक ग्रुप भी आरंभ किया. गौरतलब है कि नाना पाटेकर एवं उर्मिला मातोंडकर भी चन्द्रशाला के छात्र रहे हैं.
•    हाल ही में उन्होंने - जी ले ज़रा, एक पैकेट उम्मीद, अस्मिता नामक धारावाहिकों एवं इंग्लिश विंगलिश नामक फिल्म में यादगार भूमिका निभाई.

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मुक्केबाज मुहम्मद अली का निधन

महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का 74 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. मोहम्मद अली ने अपने प्रोफेशनल करियर में ज्यादातर फाइट नॉकआउट में जीती.
•    6 फीट 3 इंच लंबे अली ने अपने करियर में 61 फाइटें लड़ी और 56 जीतीं इनमें से 37 का फैसला नॉकआउट में हुआ.
•    उन्हें अपने करियर में सिर्फ पांच बार हार का सामना करना पड़ा.
•    अली ने तीन बार 1964, 1974 और फिर 1978 में विश्व चैंपियनशिप का ख़िताब जीता.
•    द ग्रेटेस्ट, द पीपल्स चैंपियन और द लुइसविले लिप' आदि निकनैम से मशहूर अली ने चार शादियां की थी.
•    उन्हें सात बेटियां और दो बेटे हैं.
•    अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को हुआ था.
•    उनका शुरुआती नाम कैसियस मर्सेलुस क्ले जूनियर था.
•    अली ने 12 साल की उम्र में बॉक्सिंग ट्रेनिंग शुरू की थी और सिर्फ 22 साल की उम्र में 1964 में सोनी लिस्टन को हराकर उलटफेर करते हुए वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप जीत ली थी.
•    इस जीत के कुछ ही वक्त बाद उन्होंने डेट्रॉएट में वालेस डी फ्रैड मुहम्मद द्वारा शुरू किया गया 'नेशन ऑफ इस्लाम' ज्वाइन कर अपना नाम बदल लिया.
•    अपनी मशहूर जीत के तीन साल बाद उन्होंने यूएस मिलिट्री ज्वाइन करने से इनकार कर दिया.
•    इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि अमरीका के वियतनाम युद्ध में भाग लेने के चलते उनकी धार्मिक मान्यताएं आहत हुई हैं.
•    सेना को मना करने के चलते अली को गिरफ्तार कर उनका हैवीवेट टाइटल छीन लिया गया.
•    कानूनी पचड़ों के चलते अली अगले चार साल तक फाइट नहीं कर पाए.
•    1971 में अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पलट दी.
•    अली के युद्ध के लिए ईमानदारी से मना करने के फैसले ने उन्हें ऐसे लोगों का नायक बना दिया जो युद्ध के खिलाफ थे.
•    कैसियस क्ले के नाम से मशहूर इस बॉक्सर ने 1975 में सुन्नी इस्लाम धर्म कबूल कर लिया.
•    इसके तीस साल बाद उन्होंने सूफिज्म अपना लिया.
•    1980 के दशक में उनकी बीमारी पर्किंसन का पता चला.
 

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प्रसिद्घ कन्नड़ लेखक डी जवारे गौड़ा का निधन

लोकप्रिय कन्नड़ लेखक डी जवारे गौड़ा का 30 मई 2016 को मैसूर में एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया । 
•    वह कन्नड़ के प्रसिद्द कवि के.वी. पुट्टप्पा के एक शिष्य थे ।
•    गौड़ा 1969 से 1975 तक मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्यरत थे ।
•    उन्हें 2001 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था 
•    उन्हें 1998 में पंपा प्रिशाठी और 2003 में गुरु अवार्ड से सम्मानित किया।
•    साहित्य में उनके योगदान और कन्नड़ के कारण उन्हें  कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक रत्न (2008) और नदोजा शीर्षक (2003) से सम्मानित किया ।
•    उन्हें कुछ कामों में लक्ष्मिशाना जैमिनी भरत (1957), कनाकदासरा नालाचरित्रे (1959), अन्दवाना कब्बिगारा काव्या (1965), आदि भी शामिल है ।
•    कन्नड साहित्य का इतिहास लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुराना है।
•    कुछ साहित्यिक कृतियाँ जो ९वीं शताब्दी में रची गयीं थीं, अब भी सुरक्षित हैं।
•    कन्नड साहित्य को मुख्यतः तीन साहित्यिक कालों में बांटा जाता है- प्राचीन काल (450–1200 CE), मध्यकाल (1200–1700 CE) तथा आधुनिक काल (1700 से अब तक)।
•    कन्नड साहित्य की एक विशेष बात यह है कि इसमें जैन, वीरशैव और वैष्णव तीनों सम्रदायों ने साहित्य रचना की जिससे मध्यकाल में तीन स्पष्ट धाराएँ दिखतीं हैं।
  

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मराठी साहित्यकार और आलोचक आर जी जाधव की मृत्यु

मराठी के वरिष्ठ साहित्यकार, लेखक और आलोचक आरजी जाधव का शुक्रवार को वैकुंठ श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार कर दिया गया। 
•    जाधव का शुक्रवार सुबह ही 83 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया था। 
•    जाधव औरंगाबाद में वर्ष 2004 में हुए अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष बनाए गए थे।
•    महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2015 में उन्हें विंदा करंदीकर जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया था। 
•    उन्होंने कई पुस्तकें लिखी थीं, जिसमें 'आनंदाचा दोह', 'नीली पहाट' और 'बापू' कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं। 
•    वह साधना ट्रस्ट से भी जुड़े रहे और डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के साथ काम किया था।
•    जाधव अपनी प्रखर लेखनी के लिए देशभर में मशहूर रहे.
•    सामाजिक चेतना, रजिनिक विफलताओं पर जैम कर लिखने वाले जाधव को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है .

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सी.पी.आई के कद्दावर नेता के. अनिरुधन का निधन

दिग्गज पूर्व विधायक और सांसद के. अनिरुधन का  23 मई 2016 को उनके आवास पर निधन हो गया।•    वो 92 वर्ष के थे ।
•    अनिरुधन कुछ समय के लिए उम्र से संबंधित बीमारियों से पीड़ित थे.
•    दक्षिणी भागों में कम्युनिस्ट पार्टी के आंदोलन का निर्माण करने के लिए उन्हें उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है, 
•    अनिरुधन 1963, 1965, 1979 और 1980 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे।
•    अनिरुधन एक सक्रिय ट्रेड यूनियन नेता भी रहे. 
•    1967 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री आर शंकर को हराने के बाद उन्होंने चिरायिनकीझु निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था ।
•    वह अपने स्कूल के दिनों के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ आकर्षित थे ।
•    उन्हें ज़मीन से जुड़े नेता के तौर पर जाना जाता था 
•    दक्षिण भारत में उनका सम्मान उच्च कोटि का था और वो  की समस्याएं सुनने में और उसे सुलझाने में विश्वास रखा करते थे 

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गुजराती लोकगायिका दीवालीबेन भील का निधन

लोकगायिका दीवालीबेन भील का 19 मई 2016 को जूनागढ़, गुजरात में निधन हो गया. वह 82 वर्ष की थी.
•    उन्होंने कई तरह के लोकगीतों, गरबा आदि को अपना स्वर दिया था. जिनमें से कई कालजयी बन गयी हैं. उन्होंने गुजराती फिल्म के लिए भी गायन किया था.
•    दीवालीबेन भील गिर जंगल में आदिवासी परिवार में पैदा हुई और 9 साल की उम्र में उनकी शादी हो गयी.
•    जब वह जूनागढ़ के वंजारी चौक पर गरबा कर रही थी तब वहां आकाशवाणी की मौजूद टीम थी. हेमू गढ़वी ने उनका गाना रिकॉर्ड किया था और उन्हें आकाशवाणी मे गाने के लिए निमंत्रण दिया.
•    दीवालीबेन का पह्ला गाना ‘फूल उतरया फूलवड़ी आ रे लोल.....’ रिकॉर्ड किया गया और ऑल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन पर प्रदर्शित किया गया.
•    दीवालीबेन द्वारा उल्लेखनीय गीत कगलीय लखी लखी थकी, वरसे वरसे आशाधी केरे मेघ और चेलैया खामा खामारे शामिल हैं.
•    केन्द्र सरकार ने वर्ष 1990 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया.

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