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गुजरात में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा

गुजरात सरकार ने सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की 29 अप्रैल 2016 को घोषणा की है 
•    गुजरात सरकार ने सामान्य वर्ग में पाटीदारों सहित आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की है .
•    इस आरक्षण के लिए 1 मई 2016 को अधिसूचना जारी की जाएगी. 
•    इस घोषणा के अनुसार छह लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवार आरक्षण के पात्र होंगे.
•    इस फैसले के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण देने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है जहां 
•    सरकार इसके लिए ऑर्डिनेंस लेकर आएगी. सरकार का ऑर्डिनेंस आने से शिक्षा और नौकरी में सवर्णों को भी लाभ मिलेगा. 
•    इस आदेश का फायदा पाटीदारों समुदाय को भी मिलेगा जो आरक्षण की मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलन कर रहे हैं.

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28 अप्रैल 2016 को राज्यसभा ने उद्योग (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2015 पारित किया

•    लोकसभा ने इसे 10 दिसंबर 2015 को बिल पारित कर दिया था •    यह वाणिज्य और उद्योग,  राज्य मंत्री  निर्मला सीतारमन द्वारा पेश किया गया था।
•    अब, यह राष्ट्रपति को भेजा जा रहा है।
•    भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने 20 जनवरी, 1997 को दिए गये अपने फैसले में , केंद्र और राज्यों (बिहार आसवनी और एक अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) के बीच शराब के उत्पादन के नियमन के सीमांकन की सिफारिश की थी 
•    1951 अधिनियम विकास और धातु, दूरसंचार, परिवहन, किण्वन (जो शराब का उत्पादन भी शामिल है) सहित कुछ दूसरों उद्योगों के बीच नियमन प्रदान करता है।
•    अदालत ने फैसला सुनाया कि केंद्र और औद्योगिक उपयोग के राज्यों के लिए शराब के उत्पादन को विनियमित करना चाहिए
•    इस नए नुइयम के बाद माना जा रहा है की कई अलग अलग कंपनियों पर इसका व्यापक असर पड़ेगा 

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लोकसभा द्वारा सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक-2016 पारित किया गया

लोकसभा में 25 अप्रैल 2016 को सिख गुरुद्वारा (संधोधन) विधेयक 2016 पारित किया गया. इस विधेयक को राज्य सभा द्वारा 16 मार्च 2016 को ही पारित कर दिया गया था. इसका उद्देश्य सिख गुरुद्वारा विधेयक 1925 में संशोधन करना है जो 8 अक्टूबर 2003 से लागू है.
1925 के अधिनियम के अनुसार कोई भी सिख व्यक्ति जिसकी आयु 21 वर्ष या इससे अधिक है वह एसजीपीसी के लिए मतदान कर सकता है. हालांकि, जो व्यक्ति शेव करता है अथवा बाल कटवाता है उसे इस मतदान प्रक्रिया से वंचित रखा गया.
वर्ष 1944 में इसमें संशोधन करके सहजधारी सिखों, जो दाढ़ी कटाते हैं अथवा बाल कटवाते हैं उन्हें भी मतदान का अधिकार दिया गया.अब इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा.
•    इसके तहत सहजधारी सिखों को 1944 में गुरूद्वारा प्रबंधक समिति सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में दिए गए अधिकार से वंचित होना पड़ेगा.
•    इससे पहले सहजधारी सिख शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के लिए 1949 से मत दे रहे हैं.
•    इस अधिसूचना को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 20 दिसम्बर 2011 को खारिज कर दिया था. संशोधन करने का अंतिम निर्णय उन्होंने विधायिका पर छोड़ दिया था.
•    इससे पहले, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 10 मार्च 2016 को सिख गुरुद्वारा विधेयक-1925 में 8 अक्टूबर 2003 को संशोधन हेतु मंजूरी दी.
•    सिख गुरुद्वारा विधेयक-1925 के अनुसार जो सिख धर्म के मौलिक सिद्धांतों को मानते हैं उन्हें ही समिति चुनाव लड़ने का अधिकार है. वर्ष 1944 में किये गये संशोधन के बाद सहजधारी सिखों को भी वोटिंग का अधिकार दिया गया.
सहजधारी वह व्यक्ति है जिसने सिख धर्म को अपनाया है लेकिन इसके मूल सिद्धांतों को नहीं अपनाया है. वे सिख गुरुओं द्वारा दी गयी शिक्षाओं का पालन करता हो. 
सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के अनुसार सहजधारी सिख है: : (i) जो सिख रीति-रिवाजों को निभाता है, (ii) जो तम्बाकू एवं हलाल मीट नहीं खाता (iii) जिसे धर्म का अपमान करने पर धर्म से निष्कासित नहीं किया गया हो (iv) जो सिख धर्म के मूल मन्त्र का उच्चारण कर सकता हो.

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