Current Affairs
Hindi

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दोषपूर्ण ऋणों की वसूली के लिए विधेयक को मंजूरी दी

15 जून 2016 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रतिभूति हित एवं ऋण कानून की वसूली एवं प्रकीर्ण उपबंध (संशोधन) विधेयक, 2016 को मंजूरी दे दी.इसे 11 मई 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था. 
•    विधेयक के जरिये व्यापार करने में आसानी में सुधार और दोषपूर्ण ऋणों की फास्ट ट्रैकिंग वसूली द्वारा अर्थव्यवस्था में निवेश को आकर्षित करने का प्रयास किया जायेगा. 
•    यह प्रक्रिया जिलाधिकारी की सहायता से की जाती है और इसमें अदालतों या ट्रिब्यूनलों के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती. 
•    जिलाधिकारी द्वारा इस प्रक्रिया को 30 दिनों के भीतर पूरा किए जाने की बात विधेयक में कही गई है. 
•    इसके अलावा, यह अधिनियम ऋण चुकाने में अक्षम रहने पर कंपनी के प्रबंधन पर अधिकार स्थापित करने  में बैंक की सहायता करने के लिए जिलाअधिकारी को शक्ति प्रदान करता है. 
•    ऐसा उस स्थिति में किया जाएगा जब बैंक अपने बकाया ऋण को इक्विटी शेयर में बदल देंगे और कंपनी में 51 फीसदी या उससे अधिक के हिस्सेदार बन जाएंगे. 
•    यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उनके व्यापार से संबंधित कथनों और संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के बारे में किसी भी जानकारी की जांच करने की शक्ति प्रदान करता है. 
•    अधिनियम आरबीआई को इन कंपनियों के ऑडिट और निरीक्षण करने का भी अधिकार प्रदान करता है. आरबीआई खुद के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहने वाली कंपनी को दंडित कर सकता है.
•    अधिनियम में ऋण वसूली न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है. 
•    इसने अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष से बढ़ा कर 67 वर्ष कर दी है. इसमें पीठासीन अधिकारियों और अध्यक्ष को फिर से उनके पद पर नियुक्त किए जाने का भी प्रावधान किया गया है. 
•    अधिनियम में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को प्रतिवादी के घर या व्यापार क्षेत्र में अधिकार वाले अदालतों में मामला दायर करना आवश्यक किया गया है. 
•    अधिनियम में बैंक की जिस शाखा में ऋण का भुगतान लंबित है, उस क्षेत्र के न्यायधिकरणों में मामले को दायर करने की अनुमति दी गई है. 
•    अधिनियम में कहा गया है कि अधिनियम के तहत कुछ प्रक्रियाएं इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही की जाएंगी. इसमें पक्षों द्वारा किए गए दावों की प्रस्तुति और न्यायाधिकरणों द्वारा अधिनियम के तहत जारी किए गए समन शामिल हैं.

All Rights Reserved Top Rankers