• इससे हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति में वृद्धि होगी जहां चीन, कोरिया और जर्मनी जैसे अन्य देश सक्रिय हैं.
• अन्वेषण कार्य विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं/ संगठनों के सहयोग से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्तर्गत किया जाएगा.
समुद्र तली में लोहा,तांबा,जस्ता,चांदी,सोना,प्लेटिनम युक्त यह बहुधात्विक सल्फाइड (पीएमएस) समुद्री क्रस्ट की चिमनी के माध्यम से गहराई में गर्म मेग्मा उमड़ने से तरल पदार्थ से बना अवक्षेप हैं.
• पीएमएस के दीर्घकालिक वाणिज्यिक एवं सामरिक लाभ ने दुनिया भर का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है.
• समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के अधीन अंतर्राष्ट्रीय सीबैड प्राधिकरण (आईएसए) ने हिंद महासागर के केंद्रीय भारतीय रिज (सीआईआर) 85 दक्षिण- पश्चिम भारतीय रिज (एसडब्ल्यूआईआर) क्षेत्र में पोली मैटेलिक सल्फाइड (पीएमएस) के अन्वेषण के लिए 15 वर्षों की योजना के साथ 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र का आवंटन करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा प्रस्तुत आवेदन को अपनी मंजूरी दी.
• आईएसए अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा में सीबैड के अजीवित संसाधनों को नियंत्रित करता है.
o धारित क्षेत्र में सबसे संभावित क्षेत्र की पहचान करना जो मध्य हिंद बेसिन में पिण्डिकाओं के लिए प्रथम पीढ़ी के खनन स्थल का केंद्र बनेगा.
o प्रथम पीढ़ी खनन स्थल में आदर्श ब्लॉकों का चयन करना और प्रयोगिक खनन के लिए पूर्व संकेतक और आवश्यक डेटा प्रदान करने के लिए उच्चतम संभव विभेदन पर विस्तृत अवलोकन करना.
o धारित क्षेत्र में मौजूदा डेटा के साथ ग्रेड और बहुतायत डेटा को एकीकृत करना और जहां तक ग्रेड और बहुतायत का संबंध है, सबसे अच्छे ब्लॉकों की अंतिम वस्तुस्थिति सृजित करना.
o धारित क्षेत्र में पिण्डिका का व्यापक संसाधन मूल्यांकन
o राष्ट्रीय अंटार्कटिक एंव समुद्री अनुसंधान केन्द्र, गोवा
o राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, गोवा
o समोच्च नक्शे का सृजन, ढलान कोण का नक्शा, खनन स्थल-एम-3 (42 ब्लाक) का 3-डी मानचित्र और मौजूदा आंकड़ों से उच्च विभेदन अध्ययनों के लिए आदर्श ब्लॉकों का चयन करना.
o सब-बॉटम भेदन का उपयोग करते हुए पूर्व चयनित ब्लॉकों की आरओवी जांच, सूक्ष्म स्थलाकृति आदि के लिए एक बीम और बहु बीम मानचित्रण
o कार्यक्रम से अपेक्षित डिलिवरेबल्स में बहु धातु खनिज अन्वेषण के लिए प्रासंगिकता संबंधी विस्तृत स्थल विशेष विषयगत नक्शे और इस क्षेत्र के लिए एक व्यापक भूवैज्ञानिक डेटाबेस शामिल होंगे.
o जीआईएस का उपयोग करते हुए अन्वेषण क्षेत्र की सूक्ष्म स्थालाकृतिक रूपरेखाओं और संबंधित विश्लेषणों का सीमांकन करने के लिए उच्च विभेदन मानचित्र (3-डी और 2-डी) तैयार करना.
o सीआईओबी नॉड्यूल युक्त क्षेत्र (प्रथम पीढ़ी खनन स्थल) में संभावित सीमाउंट जलतापीय निक्षेपों की समझ और आकलन.
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