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गुवाहाटी द्वारा गंगा नदी की डॉल्फिन को ‘शहर जीव’ घोषित किया गया

कामरूप मेट्रोपोलिटन जिला प्रशासन द्वारा गंगा नदी की डॉल्फिन को शहर का प्रतीक घोषित किये जाने पर असम स्थित गुवाहाटी 6 जून 2016 ‘शहर जीव’ वाला देश का पहला शहर बन गया.

•    गंगा नदी की डॉल्फिन को स्थानीय भाषा में ‘सिहु’ भी कहा जाता है. गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी में ऐसे 2000 से कम जीव बचे हैं.
•    जिला प्रशासन ने शहर के प्रतीक के रूप में किसी जीव को चुनने हेतु ऑनलाइन और ऑफलाइन मतदान की व्यवस्था का आयोजन कराया. इस मतदान प्रक्रिया में गंगा नदी के डॉल्फिन के अतिरिक्त ब्लैक सॉफ्टशेल टर्टल (बोर कासो) कछुआ और ग्रेटर एडजुटैंड स्टोर्क (हरगिला) थे.
•    तीन महीने तक चलाये गये इस मतदान अभियान में गंगा नदी की डॉल्फिन को कुल 60003 मतों में से 24247 वोट प्राप्त हुए.
•    ग्रेटर एडजुटैंड स्टोर्क को 18454 जबकि ब्लैक सॉफ्टशेल टर्टल को 17302 मत मिले.
•    कामरूप जिला प्रशासन ने असम वन विभाग, असम राज्य जैव-विविधता समूह एवं एक एनजीओ के साथ मिलकर यह मतदान आयोजित कराया.
•    इन्हें गंगा का टाइगर भी कहा जाता है क्योंकि जिस प्रकार वनों में बाघ विचरण करते हैं उसी प्रकार डॉल्फिन नदी में रहती है.
•    इसका साइंटिफिक नाम प्लाटानिस्टा गंगेटिका है.
•    गंगा नदी की डॉल्फिन गहरे पानी में रहती हैं. यह अधिकतर दो नदियों के संगम स्थल पर पायी जाती हैं. इनके साथ मगरमच्छ, स्वच्छ पानी के कछुए एवं जलीय पक्षी भी देखे जा सकते हैं.
•    इन्हें सात राज्यों – असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल में पाया जाता है.
•    डॉल्फिन इन नदियों में पायी जाती हैं – गंगा, चम्बल (मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश), घाघरा, गंडक (बिहार एवं उत्तर प्रदेश), सोन एवं कोसी (बिहार), ब्रह्मपुत्र एवं सहायक नदियां सदिया से धुबरी एवं कुलसी नदी.
•    गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन ताकतवर लेकिन लचीली होती है. इसका वजन 150 किलोग्राम तक होता है. मादा डॉल्फिन नर की अपेक्षा बड़ी होती हैं.
•    गंगा नदी की डॉल्फिन साधारणतया नेत्रहीन होती हैं लेकिन वे अपना शिकार अल्ट्रासोनिक आवाज़ से पकड़ती हैं.
•    गंगा नदी की डॉल्फिन के संरक्षण का कार्यक्रम वर्ष 1997 में आरंभ किया गया था ताकि इसकी घटती जनसंख्या पर नियंत्रण पाया जा सके.

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