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भारत, एंटीबायोटिक दवाओं पर रेड लाइन अभियान की हुई तारीफ़

लाल अभियान के साथ दवाओं के रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर वैश्विक समीक्षा द्वारा सराहना की गई।
•    2014 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और अर्थशास्त्री जिम ओ'नील की अध्यक्षता में इसकी समीक्षा हुई थी  ।
•    समीक्षा के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं पैकेजिंग के लिए लाल रेखा अभियान' के  तहत भारत अपने विचार दुनिया के समक्ष रखने के साथ साथ वो इस विचारधारा का नेतृत्व भी कर रहा है ।
•    अभियान फ़रवरी 2016 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था ।
•    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले दिनों सर्दी-खांसी और बुखार से लेकर मधुमेह तक के इलाज के लिए प्रयुक्त लगभग 350 दवाओं को प्रतिबंधित कर दिया़  
•    इनमें कुछ एंटीबायोटिक थीं, तो कई फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशनवाली दवाइयां. 
•    मंत्रालय का कहना है कि ये लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं और इनके सुरक्षित विकल्प मौजूद हैं. 
•    आजकल मामूली दिक्कतों पर एंटीबायोटिक्स लेना एक आदत बनती जा रही है, जो आगे चल कर कई परेशानियां पैदा करती हैं. 
•    दुनिया का पहला एंटीबायोटिक पेनिसिलिन, निमोनिया जैसी बीमारी में बेहद कारगर था़, सिर्फ एक खुराक में असर दिखानेवाली यह दवा, निमोनिया के अलावा कई अन्य बीमारियों में रामबाण मानी जाती थी, क्योंकि एंटीबायोटिक की खोज ही इसी से शुरू हुई थी़  लेकिन अब निमोनिया के लिए भी यह नाकाफी है, इसकी जगह मरीज को कई अन्य एंटीबायोटिक देने पड़ते हैं. 

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