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भारत, ईरान और अफगानिस्‍तान ने ऐतिहासिक त्रिपक्षीय पारगमन समझौते पर हस्‍ताक्षर किए

भारत, ईरान और अफगानिस्‍तान ने 23 मई 2016 को ईरान की राजधानी तेहरान में एक ऐतिहासिक त्रिपक्षीय पारगमन समझौते पर हस्‍ताक्षर किए
•    त्रिपक्षीय समझौता चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत और अफगानिस्‍तान के बीच बाधा रहित परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा.
•    यह बंदरगाह की स्थिति दक्षिण पूर्व ईरान में सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण मानी जाता है.
•    इससे पहले भारत और ईरान ने भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह के प्रथम चरण के विकास के बारे में एक समझौत पर हस्‍ताक्षर किए. भारत एक निर्धारित अवधि तक इसे चालित करेगा.
•    इस  समझौते से यह बंदरगाह परियोजना और भी व्‍यवहारिक साबित होगी और क्षेत्र में आर्थिक गति‍विधियों को बढ़ावा देगी.
•    भारत और ईरान ने चाबहार परियोजना को पारंपरिक मित्रों के बीच मैत्री की नई शुरूआत का प्रतीक बताया है.
•    समझौता भारत, ईरान और अफगानिस्‍तान के लोगों के लिए समूचे आर्थिक परिदृश्‍य को बदल देगा इससे तीनों देशों के बीच आर्थिक गतिविधियों मे वृद्धि होगी.
•    त्रिपक्षीय पारगमन समझौते से माल परिवहन की दरों में काफी कमी आएगी.

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भारत, थाइलैंड, म्यांमार को 1,400 किमी की सड़क से जोड़ा जाएगा

इस राजमार्ग से दशकों में पहली बार भारत को जमीन के रास्ते दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ा जा सकेगा. 
•    इससे तीनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाया जा सकेगा. 
•    थाइलैंड में भारत के राजदूत भगवंत सिंह बिश्नोई ने बताया कि सात दशक पहले दूसरे विश्व युद्ध के समय म्यांमार में 73 पुल बनाए गए थे. 
•    अब इन पुलों को भारतीय वित्तपोषण से सुधारा जा रहा है जिससे वाहन सुरक्षित तरीके से राजमार्ग को पार सकेंगे. 
•    उन्होंने कहा कि मरम्मत का काम 18 महीने में पूरा हो जाएगा. इसके बाद राजमार्ग को तीनों देशों के यातायात के लिए खोल दिया जाएगा. 
•    यह राजमार्ग भारत में पूर्वी क्षेत्र में मोरेह से म्यांमार के तामू शहर जाएगा. फिलहाल इस 1,400 किलोमीटर की सड़क के इस्तेमाल के लिए त्रिपक्षीय मोटर वाहन करार को पूरा करने के लिए बातचीत चल रही है. 
•    यह सड़क थाइलैंड के मेई सोत जिले के ताक तक जाएगी. 
•    बिश्नोई ने कहा, ‘‘भारत और थाइलैंड के बीच बैठकें होती रहती हैं. 
•    हम दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भाषायी संपर्क हैं. इस सड़क से हमारे बीच भौतिक संपर्क स्थापित होगा.’’

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ईरान और भारत ने चाबहार पोर्ट के समझौते पर हस्ताक्षर किये

जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट के जॉइंट वेंचर इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड अर्या बंदर कंपनी ऑफ ईरान के साथ फर्स्ट फेज में दो टर्मिनल्स और पांच मल्टि कार्गो बर्थ चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट के अंतर्गत डिवेलप करने के समझौते पर हस्ताक्षर किया । 
•    भारत पहले दौर में में 200 मिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश करेगा। इसमें 150 मिलियन डॉलर ऐक्जिम बैंक मुहैया कराएगा। 
•    मई 2015 में गडकरी और ईरान के ट्रांसपोर्ट ऐंड अर्बन डिवेलपमेंट मंत्री डॉ अब्बास अहमद अखुंडी के बीच इस प्रोजेक्ट के विकास को लेकर हस्ताक्षर हुआ था। 
•    चाबहार साउथ-ईस्ट ईरान में है। इस पोर्ट के जरिए इंडिया बिना पाकिस्तान के सहारे लैंड लॉक्ड देश अफगानिस्तान पहुंच सकता है। 
•    नई दिल्ली अफगानिस्तान में आर्थिक और सिक्यॉरिटी के लिहाज से अपनी मौजूदगी मजबूत करने में लगी है। 
•    यह चाबहार पोर्ट से 883 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जारंग-डेलाराम रोड का निर्माण इंडिया ने 2009 में किया था। 
•    इससे अफगानिस्तान में गारलैंड हाइवे तक पहुंच बन सकती है। इससे अफगानिस्तान के चार बड़े शहरों- हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक पहुंच बन सकती है।
•    इस पोर्ट का इस्तेमाल शिप क्रूड ऑइल और यूरिया के लिए किया जा 
•    इसमें 85.21 मिलियन डॉलर निवेश कर बर्थ को कॉन्टेनर टर्मिनल और एक मल्टि-पर्पस कार्गो टर्मिनल में बदला जाएगा। 
•    अमेरिकी दबाव में यूपीए सरकार ने ईरान से अपने रिश्ते जिस हद तक बिगाड़ लिए थे, उस पृष्ठभूमि में यह थोड़ा संतोषजनक है कि जिनेवा में हुए समझौते की रूपरेखा तय करने में भारत की भी थोड़ी-बहुत भूमिका रही है।
•    ईरान के बाद सर्वाधिक शिया मुसलमान भारत में ही हैं।
•    समझौते के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटी, तो अपने यहां भी रुपये और शेयर बाजार में मजबूती दिखी, पर फिलहाल ये शुरुआती संकेत ही हैं। 

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