पिछले 2 वर्षों में 3,30,64,900 एससी और ओबीलसी छात्रों को 7,465 करोड़ रुपए की छात्रवृत्तियां मिलीं
एक समावेशी समाज के निर्माण के लिए, जिसमें कि अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग उत्पादक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उनके विकास एवं वृद्धि में सहायक विभिन्न योजनाएं लागू की जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्यि इन लक्षित समूहों का आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक सशक्तिकरण करना है।
• मैट्रिक या माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को सक्षम बनाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक मदद देता है। प्राथमिक स्कूभलों, उच्चब माध्योमिक स्कूछलों, कॉलेजों और विश्वैविद्यालयों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के लड़कों और लड़कियों को होस्टेल सुविधाओं के लिए भी सहायता दी जाती है।
• सरकार विश्व्विद्यालयों, शोध संस्थातनों और वैज्ञानिक संस्थाानों में एम. फिल, पीएच.डी और समतुल्यव शोध करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, चुने हुए अनुसूचित जाति के छात्रों को विदेशों में भी मास्टर स्तर के पाठ्यक्रम और पीएचडी की ऊंची पढ़ाई के लिए राष्ट्री य विदेशी छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।
• 2014-15 और 2015-16 के दौरान सामाजिक कल्यारण और सशक्तिकरण विभाग ने विभिन्न4 योजनाओं के तहत लगभग 7,465 करोड़ की छात्रवृत्तियां दी हैं, जैसेकि – पूर्व मैट्रिक, मैट्रिक के बाद, राष्ट्री य विदेशी, राष्ट्री य फेलोशिप और ईबीसी के लिए डॉ. अंबेडकर मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्तियां अनुसूचित जातियों, अन्यर पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों आदि के छात्रों के लिए चलाई जाती हैं। छात्रवृत्तियों से लगभग 3,30,64,900 छात्र को लाभ हुआ है।
• चालू वित्तक वर्ष के दौरान अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) के लिए अतिरिक्त रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 38,832 रुपए आवंटित किए गए हैं। इसका मुख्यर उद्देश्यन गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों के आर्थिक विकास की योजनाओं पर जोर देना है।
• सरकार ने स्टैंकडअप इंडिया अभियान के तहत भी 2.5 लाख अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक सहायता देने का निर्णय किया है।





