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स्वदेश निर्मित हेवीवेट टॉरपीडो वरुणास्त्र नौसेना में शामिल

स्वदेश निर्मित हेवीवेट टॉरपीडो वरुणास्त्र 29 जून 2016 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा इसे नौसेना को सौंपा गया.
इसके साथ ही भारत उन आठ देशों में शामिल हो गया जिनके पास ऐसे टॉरपीडो हैं.
•    टॉरपीडो को नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया. इसमें 95 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है.
•    इसका वजन लगभग 1.25 टन है तथा यह 40 नॉटिकल मील प्रति घंटा की रफ़्तार से 250 किलोग्राम तक विस्फोटक सामग्री ले जा सकता है.
•    इसे राजपूत क्लास के विध्वंसक से छोड़ा जा सकता है तथा भविष्य में निर्मित होने वाले सभी पनडुब्बी एवं समकक्ष वाहन से छोड़ा जा सकता है.
•    यह छिछले एवं गहरे पानी में वार कर सकता है तथा इसे किसी ही तरह के वातावरण में प्रयोग किया जा सकता है.
•    यह स्वचालित हथियार है जो विस्फोटक सामग्री ले जा सकता है.
•    इसे पानी के ऊपर अथवा अंदर लॉन्च किया जा सकता है जो बाद में पानी के अंदर होकर अपने निशाने तक पहुँचती है.
•    इसे इस प्रकार डिजाईन किया गया है ताकि यह अपने निशाने तक सटीकता से पहुंच सके.
•    टॉरपीडो शब्द पहले खदानों के लिए प्रयोग किया जाता था.
•    1900 से टॉरपीडो का उपयोग पानी के भीतर स्वचालित हथियार के रूप में होने लगा.
•    वास्तविक टॉरपीडो एक मछली की भांति कार्य करता है इसे इलेक्ट्रिक रे भी कहा जा सकता है.
वरुणास्त्र को पहली बार वर्ष 2016 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर परेड के दौरान प्रदर्शित किया गया था.

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