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वयोवृद्ध हिंदी साहित्यकार मुद्राराक्षस का निधन

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार मुद्राराक्षस का लंबी बीमारी के बाद 13 जून 2016 को लखनऊ में निधन हो गया. वे 82 वर्ष के थे.
वे सांप्रदायिकता, जातिवाद, महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने ज्वलंत विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे.
उन्होने बीस से ज्यादा नाटकों का सफल निर्देशन, कई नाटकों का लेखन, बारह उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह, इतिहास सम्बन्धी तीन पुस्तकें और आलोचना सम्बन्धी पांच पुस्तकें लिखीं.
उनकी विभिन्न रचनाएं एवं उपन्यास अविस्मरणीय एवं संकलन योग्य कृतियां हैं जिनमे आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंडविधान, हस्तक्षेप आदि मुख्य रूप से शामिल हैं.
•    उनका जन्म 21 जून 1933 को लखनऊ के बेहटा गांव में हुआ था.
•    उनका मूल नाम सुभाष चन्द्र था. 
•    लखनऊ में ही शिक्षा प्राप्त करने वाले मुद्राराक्षस बाद में कलकत्ता से निकलने वाली पत्रिका ज्ञानोदय के संपादक भी रहे.
•    उन्होंने तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का लम्बे समय तक सम्पादन भी किया.
•    वे 15 वर्षों से भी अधिक समय तक आकाशवाणी में संपादक (स्क्रिप्ट्स) और ड्रामा प्रोडक्शन ट्रेनिंग के मुख्य संचालक रहे.
•    उनकी प्रमुख रचनाओं में आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंड विधान और हस्तक्षेप शामिल हैं. 
•    उन्हें साहित्य नाटक अकादमी, साहित्य भूषण, दलित रत्न और जन सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

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