प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 23-मार्च, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण आवास योजना 'ग्रामीण' के क्रियान्वयन को अनुमति प्रदान कर दी है।
• इस योजना के तहत सभी बेघर और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले लोगों को पक्का मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
• इस परियोजना के क्रियान्वयन हेतु 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में 81975 रुपये खर्च होंगे।
• दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़ कर यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे भारत में क्रियान्वित की जाएगी। मकानों की क़ीमत केंद्र और राज्यों के बीच बांटी जाएगी।
• लाभान्वितों की पहचान के लिए सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना- 2011 का उपयोग।
• पूर्ण पारदर्शिता एवं निष्पक्ष्ता सुनिश्चित करते हुए लाभान्वितों की पहचान का कार्य सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना की सूचनाओं का प्रयोग कर किया जाएगा।
• पूर्व में सहायता प्राप्त लाभान्वितों एवं अन्य कारणों से अयोग्य लोगों की पहचान के लिए सूची ग्राम सभा को दी जाएगी। अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।
• घरों के निर्माण की क़ीमत केंद्र एवं राज्य द्वारा समतल क्षेत्रों में 60:40 के अनुपात में तथा पहाड़ी/ उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों हेतु 90:10 के अनुपात में रखी जाएगी।
• लाभान्वितों की वार्षिक सूची की पहचान ग्राम सभा द्वारा सहभागिता पूर्वक की जाएगी। मूल सूची की प्राथमिकता में परिवर्तन के लिए ग्राम सभा को लिखित में न्यायसंगत ठहराना होगा।
• लाभान्वित के खाते में सीधे धनराशि स्थानांतरित की जाएगी।
• मकानों की संरचना ऐसी होगी जो क्षेत्रीय आधार पर उपयुक्त हों, मकानों की रचना में ऐसी खासियतें रखी जाएंगी जो उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकें।
• मिस्त्रियों की संख्या में कमी को देखते हुए उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।
• मकान बनाने में प्रयुक्त सामग्री की अतिरिक्त ज़रूरत को देखते हुए ईंटों के निर्माण हेतु सीमेंट या फ्लाई एश का मनरेगा के अंतर्गत कार्य किया जाएगा।
• लाभान्वित को 70,000 रुपए तक का ऋण लेने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
• मकान का क्षेत्रफल मौजूदा 20 वर्ग मीटर से बढ़ाकर भोजन बनाने के स्वच्छ स्थान समेत 25 वर्ग मीटर तक किया जाएगा।
• निर्माण क्षेत्र भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोज़गार प्रदाता है। इस क्षेत्र का 250 से भी ज़्यादा अधीनस्थ उद्योगों से वास्ता है। ग्रामीण आवास योजना के विकास से ग्रामीण समाज में रोज़गारों का सृजन होता है और इससे गांवों के अर्थतंत्र का विकास होता है।
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