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केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाइड्रोकार्बन उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति को स्वीकृति दी गयी

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने 10 मार्च 2016 को हाइड्रोकार्बन उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्पं) को मंजूरी प्रदान की.

* उपर्युक्त निर्णय से तेल एवं गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा. साथ ही इस क्षेत्र में व्यापक निवेश आएगा और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
* हाइड्रोकार्बन के सभी स्वरूपों के उत्खनन एवं उत्पादन के लिए एकसमान लाइसेंस
एकसमान लाइसेंस से ठेकेदार के लिए एकल लाइसेंस के तहत परंपरागत एवं गैर परंपरागत तेल एवं गैस संसाधनों का भी उत्खनन करना संभव हो जाएगा, जिनमें सीबीएम, शेल गैस/तेल, टाइट गैस और गैस हाइड्रेट्स भी शामिल हैं.
* खुली रकबा नीति की अवधारणा से ई एंड पी कंपनियों के लिए नामित क्षेत्र से ब्लॉकों का चयन करना संभव हो जाएगा.
* निवेश गुणज और लागत वसूली/उत्पादन संबंधी भुगतान पर आधारित उत्पादन हिस्सेदारी वाली मौजूदा राजकोषीय प्रणाली का स्थान राजस्व हिस्सेदारी वाला ऐसा मॉडल लेगा, जिसका संचालन करना आसान होगा.
* पूर्ववर्ती अनुबंध मुनाफे में हिस्सेदारी वाली अवधारणा पर आधारित थे, जिसके तहत लागत की वसूली के बाद सरकार और ठेकेदार के बीच मुनाफे की हिस्सेादारी तय की जाती है.
* नई व्यवस्था के तहत सरकार का इससे कोई वास्ता नहीं रहेगा. इतना ही नहीं, सरकार को तेल, गैस इत्यादि की बिक्री से प्राप्त सकल राजस्व‍ का एक हिस्सा प्राप्त होगा.
* उत्पादित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के लिए विपणन व मूल्य निर्धारण संबंधी आजादी
अपतटीय क्षेत्रों में उत्खनन एवं उत्पादन में निहित बेहद जोखिम और लागत को ध्यान में रखते हुए एनईएलपी से जुड़ी रॉयल्टी दरों की तुलना में इन क्षेत्रों के लिए अपेक्षाकृत कम रॉयल्टी दरें तय की गई हैं ताकि उत्खनन एवं उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके.
* रॉयल्टी दरों की एक वर्गीकृत प्रणाली शुरू की गई है, जिसके तहत रॉयल्टी दरें उथले पानी में उत्खनन के लिए ज्यादा तय की गई हैं, जबकि गहरे पानी एवं अत्यंत गहरे पानी में उत्खनन के लिए अपेक्षकृत कम तय की गई हैं.

* एनईएलपी की तर्ज पर ही नई नीति के तहत अनुबंध पर दिए जाने वाले ब्लॉकों पर उपकर और आयात शुल्क नहीं लगाए जाएंगे.

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