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25 अप्रैल ‘विश्व मलेरिया दिवस’

25 अप्रैल 2016 को पूरे विश्व में ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया गया. 'मलेरिया' जैसी गम्भीर बीमारी की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है.
•    'विश्व मलेरिया दिवस' पहली बार '25 अप्रैल 2008' को मनाया गया था. यूनिसेफ़ द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे ख़तरनाक रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना था, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं.
•    'मलेरिया' यह एक प्रकार का बुखार है, जिसमें बुखार ठण्ड  (कंपकपी) के साथ आता है. यह बुखार मुख्यत: संक्रमित मादा एनाफ़िलीज मच्छ र द्वारा काटने पर होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर वर्ष क़रीब 50 करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं; जिनमें क़रीब 27 लाख रोगी जीवित नहीं बच पाते, जिनमें से आधे पाँच साल से कम के बच्चे होते हैं.
•    भारत के सात राज्यों- आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और राजस्थान में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए सरकार ने विश्व बैंक की मदद से सितम्बर, 1997 से 'परिष्कृत मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम' की शुरुआत की है.
•    विदित हो कि मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो हज़ारों वर्षों से मनुष्य को अपना शिकार बनाती आई है. 
•    विश्व की स्वास्थ्य समस्याओं में मलेरिया अभी भी एक गम्भीर चुनौती है.
•    पिछले दो दशकों में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास और मलेरिया के उन्मूलन के लिए चलाए गए वैश्विक कार्यक्रमों के बावजूद इस जानलेवा बीमारी के आंकड़ों में कमी तो आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सका है.

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