Centre Proposes 4 GST Slabs
The Goods and Services Tax (GST) Council on 18 October 2016 reached a consensus on the way the states would be compensated for any loss of revenue after implementation of the new indirect tax regime, GST from 1 April 2017.
● During the meet, the GST Council also discussed the possible GST rates, including a four-slab structure of 6, 12, 18 and 26 with lower rates for essential items and highest band for luxury goods.
● The three-day GST council meet was headed by Finance Minister Arun Jaitley and included representatives from all states.
● Base year for calculating the revenue of a state would be 2015-16
● Secular growth rate of 14 per cent would be taken for calculating the likely revenue of each state in the first five years of implementation of the GST.
● States getting lower revenue would be compensated by the Centre.
● They reached at a consensus on definition of revenue to compensate states for revenue loss due to GST implementation.
केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लिए चार स्लैब वाले रेट का सुझाव दिया है, जिसमें 12 पर्सेंट और 18 पर्सेंट के दो स्टैंडर्ड रेट्स होंगे। सरकार नहीं चाहती कि जीएसटी लागू होने के बाद महंगाई बढ़े, लेकिन वह आमदनी से भी समझौता नहीं करना चाहती। इन बातों का ध्यान रखते हुए उसने यह प्रस्ताव रखा है। हालांकि, कुछ राज्य लग्जरी गुड्स पर अधिक टैक्स की मांग कर रहे हैं।
● केंद्र ने जीएसटी काउंसिल को रेट्स के बारे में जो सुझाव दिया है, उसमें प्रीशियस मेटल्स पर 4 पर्सेंट (अधिकतम सीमा 6 पर्सेंट), 12 और 18 पर्सेंट के दो स्टैंडर्ड रेट्स और 26 पर्सेंट के अधिकतम रेट के साथ लग्जरी आइटम्स, पान मसाला और टोबैको प्रॉडक्ट्स पर सेस लगाने की बात शामिल है। प्रस्ताव में सर्विसेज पर 12 पर्सेंट और 18 पर्सेंट का टैक्स लगाने की बात कही गई है।
● दिन भर चली मीटिंग के बाद फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने रिपोर्टर्स को बताया, 'काउंसिल के सामने रेट को लेकर 5 ऑप्शंस रखे गए। आपको रेट तय करने वक्त रेवेन्यू कलेक्शन को भी ध्यान में रखना होगा। जो भी प्रस्ताव दिए गए हैं, वह इस मामले में सिर्फ एक शुरुआत है।'
● उन्होंने यह भी कहा, 'रेट इस तरह से तय किया जाएगा कि रिटेल महंगाई ना बढ़े और राज्यों और केंद्र के पास इतना पैसा आए कि वे उन्हें अपनी जिम्मेदारियां निभाने में दिक्कत ना हो। इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि टैक्सपेयर्स पर कम से कम बोझ पड़े।' रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया ने कहा कि प्रस्ताव तैयार करते वक्त मौजूदा टैक्स रेट पर भी विचार किया गया।
● सरकार नहीं चाहती कि जिन चीजों पर अभी बिल्कुल टैक्स नहीं लगता या कम टैक्स लगता है, अचानक उन पर अधिक टैक्स लगने लगे। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर अभी 31 पर्सेंट टैक्स लगता है। इसे 26 पर्सेंट के बजाय 18 पर्सेंट वाले स्लैब में डाला जा सकता है।