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वयोवृद्ध हिंदी साहित्यकार मुद्राराक्षस का निधन

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार मुद्राराक्षस का लंबी बीमारी के बाद 13 जून 2016 को लखनऊ में निधन हो गया. वे 82 वर्ष के थे.
वे सांप्रदायिकता, जातिवाद, महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने ज्वलंत विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे.
उन्होने बीस से ज्यादा नाटकों का सफल निर्देशन, कई नाटकों का लेखन, बारह उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह, इतिहास सम्बन्धी तीन पुस्तकें और आलोचना सम्बन्धी पांच पुस्तकें लिखीं.
उनकी विभिन्न रचनाएं एवं उपन्यास अविस्मरणीय एवं संकलन योग्य कृतियां हैं जिनमे आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंडविधान, हस्तक्षेप आदि मुख्य रूप से शामिल हैं.
•    उनका जन्म 21 जून 1933 को लखनऊ के बेहटा गांव में हुआ था.
•    उनका मूल नाम सुभाष चन्द्र था. 
•    लखनऊ में ही शिक्षा प्राप्त करने वाले मुद्राराक्षस बाद में कलकत्ता से निकलने वाली पत्रिका ज्ञानोदय के संपादक भी रहे.
•    उन्होंने तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का लम्बे समय तक सम्पादन भी किया.
•    वे 15 वर्षों से भी अधिक समय तक आकाशवाणी में संपादक (स्क्रिप्ट्स) और ड्रामा प्रोडक्शन ट्रेनिंग के मुख्य संचालक रहे.
•    उनकी प्रमुख रचनाओं में आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंड विधान और हस्तक्षेप शामिल हैं. 
•    उन्हें साहित्य नाटक अकादमी, साहित्य भूषण, दलित रत्न और जन सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

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•    इससे हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति में वृद्धि होगी जहां चीन, कोरिया और जर्मनी जैसे अन्य देश सक्रिय हैं.
•    अन्वेषण कार्य विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं/ संगठनों के सहयोग से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्तर्गत किया जाएगा.
समुद्र तली में लोहा,तांबा,जस्ता,चांदी,सोना,प्लेटिनम युक्त यह बहुधात्विक सल्फाइड (पीएमएस) समुद्री क्रस्ट की चिमनी के माध्यम से गहराई में गर्म मेग्मा उमड़ने से तरल पदार्थ से बना अवक्षेप हैं.
•    पीएमएस के दीर्घकालिक वाणिज्यिक एवं सामरिक लाभ ने दुनिया भर का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है.
•    समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के अधीन अंतर्राष्ट्रीय सीबैड प्राधिकरण (आईएसए) ने हिंद महासागर के केंद्रीय भारतीय रिज (सीआईआर) 85 दक्षिण- पश्चिम भारतीय रिज (एसडब्ल्यूआईआर) क्षेत्र में पोली मैटेलिक सल्फाइड (पीएमएस) के अन्वेषण के लिए 15 वर्षों की योजना के साथ 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र का आवंटन करने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा प्रस्तुत आवेदन को अपनी मंजूरी दी.
•    आईएसए अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा में सीबैड के अजीवित संसाधनों को नियंत्रित करता है.
o    धारित क्षेत्र में सबसे संभावित क्षेत्र की पहचान करना जो मध्‍य हिंद बेसिन में पिण्डिकाओं के लिए प्रथम पीढ़ी के खनन स्‍थल का केंद्र बनेगा.
o    प्रथम पीढ़ी खनन स्‍थल में आदर्श ब्लॉकों का चयन करना और प्रयोगिक खनन के लिए पूर्व संकेतक और आवश्यक डेटा प्रदान करने के लिए उच्चतम संभव विभेदन पर विस्तृत अवलोकन करना.
o    धारित क्षेत्र में मौजूदा डेटा के साथ ग्रेड और बहुतायत डेटा को एकीकृत करना और जहां तक ग्रेड और बहुतायत का संबंध है, सबसे अच्छे ब्लॉकों की अंतिम वस्‍तुस्‍थिति सृजित करना.
o    धारित क्षेत्र में पिण्डिका का व्यापक संसाधन मूल्यांकन
o      राष्ट्रीय अंटार्कटिक एंव समुद्री अनुसंधान केन्द्र, गोवा
o      राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, गोवा
o    समोच्च नक्शे का सृजन, ढलान कोण का नक्शा, खनन स्‍थल-एम-3 (42 ब्लाक) का 3-डी मानचित्र और मौजूदा आंकड़ों से उच्च विभेदन अध्ययनों के लिए आदर्श ब्लॉकों का चयन करना.
o    सब-बॉटम भेदन का उपयोग करते हुए पूर्व चयनित ब्लॉकों की आरओवी जांच, सूक्ष्म स्थलाकृति आदि के लिए एक बीम और बहु बीम मानचित्रण
o    कार्यक्रम से अपेक्षित डिलिवरेबल्स में बहु धातु खनिज अन्वेषण के लिए प्रासंगिकता संबंधी विस्तृत स्‍थल विशेष विषयगत नक्शे और इस क्षेत्र के लिए एक व्यापक भूवैज्ञानिक डेटाबेस शामिल होंगे.
o    जीआईएस का उपयोग करते हुए अन्‍वेषण क्षेत्र की सूक्ष्‍म स्‍थालाकृतिक रूपरेखाओं और संबंधित विश्‍लेषणों का सीमांकन करने के लिए उच्‍च विभेदन मानचित्र (3-डी और 2-डी) तैयार करना.
o    सीआईओबी नॉड्यूल युक्त क्षेत्र (प्रथम पीढ़ी खनन स्‍थल) में संभावित सीमाउंट जलतापीय निक्षेपों की समझ और आकलन.

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आइवरी कोस्ट ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया

अफ़्रीकी देश आइवरी कोस्ट ने 14 जून 2016 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया.
•    तीन अफ्रीकी देशों की यात्रा पर अफ्रीका गए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आइवरी कोस्ट ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया. 
•    आइवरी कोस्ट के राष्ट्रपति महल में आयोजित समारोह में वहां के राष्ट्रपति अलासाने क्वात्र ने प्रणब मुखर्जी को सम्मानित किया. मुखर्जी को इस तरह का सम्मान पहली बार मिला.
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र के सुधारों का जिक्र करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत और आइवरी कोस्ट के बीच बहुत सी समानताएं हैं. 
•    दुनिया में कोकोआ का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला आइवरी कोस्ट उसके शोधन एवं प्रसंस्करण में भारत का सहयोग चाहता है. 
•    चॉकलेट बनाने में कोकोआ का ही इस्तेमाल होता है. दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर अब एक अरब डॉलर (करीब 67 अरब रुपये) तक हो गया है. 
•    राष्ट्रपति मुखर्जी के साथ मुलाकात में वहां के राष्ट्रपति क्वात्र ने भारत के निजी क्षेत्र से इस कार्य में निवेश कराने का अनुरोध किया.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 15 जून 2016 को भारत में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (भारत में ताइवान का प्रतिनिधि कार्यालय) और ताइपे में भारत ताइपे एसोसिएशन (ताइवान में भारत का प्रतिनिधि कार्यालय) के बीच कृषि और सम्बंधित क्षेत्र में सहयोग और विमान सेवा समझौते पर हस्‍ताक्षर किये जाने को मंजूरी दी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.
शुरूआत में समझौता ज्ञापन पर पांच साल की अवधि के लिए हस्ताक्षर किए गए हैं. भविष्य में इसे दोनों पक्षों की सहमति से बढ़ाया भी जा सकता है.
•    समझौता ज्ञापन के अनुसार दोनों देशों के बीच, कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन, खाद्य प्रसंस्करण, आनुवंशिक संसाधन के साथ पर्यावरण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया जाएगा.
•    दोनों देश इन क्षेत्रों में निजी क्षेत्रों के ज्यादा से ज्यादा बढ़ावे को प्राथमिकता देंगे.
•    इसके साथ ही व्याव्यापारिक रुकावटों को कम करने के लिए दोनों देश यात्राओं, जानकारियों का आदान-प्रदान, प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और कृषि क्षेत्र में व्यापार को बढ़ाने को प्राथमिकता देंगे.
•    वर्तमान में भारत एवं ताइवान के बीच कोई भी औपचारिक विमान सेवा समझौता नहीं है.
•    विमान सेवाओं का संचालन एयर इंडिया चार्टर्स लिमिटेड (एआईआरएल) और ताइपे एयरलाइंस एसोसिएशंस (टीएए) के बीच आदान-प्रदान किए गए एक सहमति पत्र (एमओयू) के तहत किया गया.
•    विमान सेवाओं से संबंधित समझौता भारत एवं ताइवान के बीच नागरिक विमानन संबंधों में एक ऐतिहासिक आयाम को दर्शाता है और इसमें दोनों पक्षों के बीच व्‍यापार, निवेश, पर्यटन एवं सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिए जाने की असीम क्षमता है.

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रूस द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु आइसब्रेकर निर्मित अर्कतिका को लांच किया

रूस ने 16 जून 2016 को अपनी एक नई परियोजना 22220 परमाणु आइसब्रेकर “अकर्तिका” का शुभारंभ किया। इसे रूस के दूसरे सबसे बड़े शहर - यह सेंट पीटर्सबर्ग में बाल्टिक शिपयार्ड से शुरू किया गया ।
•    परियोजना 22220 विश्व में अपनी तरह का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली पोत है और इसे रूस की यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन के बाल्टिक शिपयार्ड में बनाया गया है।
•    पोत 189.5 गज लंबा और 37.1 गज चौड़ा है।
•    यह 33540 मीट्रिक टन और दो विशेष रूप से डिजाइन परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के साथ फिट है।
•    यह पूरी तरह से आधुनिक रूस में निर्मित होने वाली पहली रूसी परमाणु आइसब्रेकर है।
•    यह आर्कटिक में लगभग लगभग 10 फीट तक की मोती बर्फ की पार्ट को तोड़ सकता है 
•    उस वक़्त रूसी उप प्रधानमंत्री सर्जे इवानोव ने कहा था कि रूस की सबसे बड़ी पोत निर्माता कंपनी, सोवकॉमफ्लोट में एक हिस्सेदारी बेचने से जो धन अर्जित होगा वह सरकारी खजाने में नहीं जाएगा, बल्कि उसे एक नई पीढ़ी का परमाणु संचालित आइसब्रेकर बनाने में खर्च किया जाएगा।
•    इवानोव ने कहा था की इस आइसब्रेकर का निर्माण कार्य पांच वर्षों में पूरा हो जाएगा। 
•    इसकी रफ्तार 37 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। 

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फिजी के पीटर थॉमसन संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष निर्वाचित

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा 13 जून 2016 को फिजी के पीटर थॉमसन को 71वें अधिवेशन के लिए अध्यक्ष निर्वाचित किया गया. 
उन्होंने सायप्रस के एंड्रियास मैव्रोयिआनिस को 90 के मुकाबले 94 वोटों से हराया. वे महासभा के वर्तमान अध्यक्ष मोगेंस लायक़तोफ्ट के स्थान पर निर्वाचित होंगे.
थॉमसन 71वीं सभा के लिए सितम्बर 2016 से कार्यकाल आरम्भ करेंगे.
•    वे फिजी के राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ हैं.
•    वे फरवरी 2010 से संयुक्त राष्ट्र में फिजी के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत हैं.
•    उन्हें 2014 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के कार्यकारी बोर्ड, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष एवं संयुक्त राष्ट्र परियोजना सर्विसेज कार्यालय का अध्यक्ष चुना गया.
•    उनके प्रयासों द्वारा ही यूएन ग्रुप ऑफ़ एशियन स्टेट्स का नाम परिवर्तित करके एशिया-पसिफ़िक ग्रुप रखा गया.
•    उन्हें 2014 में फिजी के राष्ट्रपति द्वारा ऑफिसर ऑफ़ द आर्डर ऑफ़ फिजी द्वारा सम्मानित किया गया.
•    यह संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों में से एक है.
•    इसमें सभी सदस्यों को एकसमान प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है.
•    इसकी शक्तियों में संयुक्त राष्ट्र का बजट, अस्थाई सदस्यों की सुरक्षा परिषद में नियुक्ति, संयुक्त राष्ट्र के अन्य भागों से रिपोर्ट प्राप्त करना एवं महासभा प्रस्ताव के लिए सिफारिश रखना शामिल हैं.
•    प्रतिवर्ष महासभा का आयोजन अध्यक्ष अथवा महासचिव के अधीन किया जाता है.
•    महासभा का पहला आयोजन 10 जनवरी 1946 को किया गया जिसमें 51 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच सहायक कंपनियों के साथ भारतीय स्टेट बैंक के विलय को मंजूरी दी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 15 जून 2016 को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) एवं उसके पांच सहायक बैंकों के विलय को मंजूरी प्रदान की.
स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर 
•    स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद 
•    स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर 
•    स्टेट बैंक ऑफ़ ऑफ़ पटियाला 
•    स्टेट बैंक ऑफ़ त्रावणकोर  इसके अतिरिक्त भारतीय महिला बैंक का भी एसबीआई में विलय किये जाने को मंजूरी प्रदान की गयी. 
•    इस विलय से 37 लाख करोड़ रुपये का आधारभूत पूँजी लाभ एवं 22500 शाखाओं तथा 60000 एटीएम मशीनों का एकीकृत विशाल बेड़ा तैयार होगा.
•    एसबीआई एवं इसके सहायक बैंकों में यह विलय करने के लिए विभिन्न कानूनों में बड़े स्तर पर बदलाव भी करने होंगे.
•    इस विलय के बाद एसबीआई विश्व के टॉप 50 बैंकों में शामिल हो जायेगा. फ़िलहाल भारत का कोई भी बैंक टॉप 50 सूची में शामिल नहीं है.
•    एसबीआई के कुल सात सहायक बैंक हैं जिनमें स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र एवं स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर का पिछले 10 वर्षों में पहले ही विलय किया जा चुका है. 
•    मूल बैंक में मार्च तिमाही के अंत में 15.09 ट्रिलियन रूपए अग्रिम राशि और 17.31 ट्रिलियन रूपए जमा राशि के रूप में संचालित किये गये.
•    केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2016 में बैंकों के एकीकरण का प्रस्ताव रखा गया क्योंकि लम्बे समय से इस संबंध में विभिन्न शिकायतें आ रही थीं.

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केंद्रीय कैबिनेट ने नागर विमानन नीति को मंजूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने 15 जून 2016 को नागर विमानन नीति को अपनी मंजूरी दे दी. स्वतंत्रता के बाद यह पहला ऐसा अवसर है जब नागर विमानन मंत्रालय ने एक संपूर्ण नागर विमानन नीति को देश में लागू किया है. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
•    केंद्रीय कैबिनेट ने लक्ष्य रखा है कि भारत को 2022 तक तीसरा सबसे बड़ा नागर विमानन बाजार बनाना है. वर्तमान में भारतीय नागर विमानन बाजार 9वें पायदान पर है.
•    यात्री सुविधाएँ बढाकर घरेलू टिकटिंग को 2022 तक 8 करोड़ (जो 2015 में था) से बढाकर 30 करोड़ करना. 
•    वाणिज्यिक उड़ानों हेतु हवाईअड्डों की संख्या 2019 तक 127 करना जो 2016 में 77 है.
•    हवाई यात्रा के किराए को समय के अनुरूप भी समायोजित करने के प्रयास किए गए है. जिसके अनुसार एक घंटे के सफर हेतु अधितकम किराया 2500 रुपए से ज्यादा नहीं होगा, यदि यात्रा पर इससे अधिक खर्च आता है तो सरकार ने विमान कंपनियों को छूट का प्रावधान रख है.
•    इसी प्रकार 30 मिनट के हवाई सफर के लिए 1200 रुपए से ज्यादा किराया देय नहीं होगा.
•    हवाईअड्डों को कम बजट पर बढ़ावा दिया जाएगा. 
•    क्षेत्रीय विमानन सेवा को बेहतर बनाने हेतु हर संभव प्रयास करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है.
•    नई नीति के अनुसार सरकार विमानों के मेन्‍टेनेंस एंड रिपेयर ऑपरेशंस (एमआरओ) पर विशेष ध्यान देगी.
•    निजी सेवा प्रदाताओं को छुट देते हुए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा शुरू करना की नीति में भी परिवर्तन किया है. जिसक्र तहत नई नीति में 5 साल घरेलू विमान सेवा देने की शर्त को समाप्त कर दिया गया है.
•    निजी सेवा प्रदाता के पास 20 विमान होने पर घरेलू सेवा में बिना किसी अनुभव के विदेशी सेवा शुरू करने का प्रावधान किया गया है.
•    विमानान सेवा अधिनियम 5/20 नियम को बदलकर 0/20 कर दिया गया है.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय कैबिनेट ने 15 जून 2016 को अंतरराष्ट्रीय महाद्वीपीय वैज्ञानिक ड्रिलिंग कार्यक्रम में भारत की सदस्यता को स्वीकृति दी.
•    हेल्महोल्ज़ सेंटर पोट्सडेम जीएफजेड जर्मन भू-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के साथ एक समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर के द्वारा अंतरराष्ट्रीय महाद्वीपीय वैज्ञानिक ड्रिलिंग कार्यक्रम (आईसीडीपी) संघ में भारत की सदस्यता को स्वीकृति मिली. 
•    यह जर्मनी के ब्रांडेनबर्ग का एक सरकार द्वारा वितपोषित सार्वजनिक विधि संस्थान है.
•    सदस्यता समझौते के एक अंग के रूप में भारत दो आईसीडीपी पैनलों-कार्यकारी समिति (ईसी) और असेम्बली ऑफ गर्वंनर्स (एओजी) में एक सीट हासिल करेगा. 
•    इसके अलावा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के द्वारा चलाई जा रही कोयना वैज्ञानिक गहरी खुदाई परियोजना के लिए कार्यशालाओं में मदद, आंकड़े प्रबंधन एवं प्रतिदर्ष जैसे प्रमुख वैज्ञानिक क्षेत्र में मानव श्रम परीक्षण के संदर्भ में आईसीडीपी क्षमता निर्माण संवर्धन के अलावा संचालनगत और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा. 
•    आईसीडीपी के सदस्य के रूप में भारत के वैज्ञानिकों/अभियंताओं को आईसीडीपी की सभी सह-वित्त पोषित कार्यशालाओं और खुदाई परियोजनाओं में भागीदारी के लिए अपने प्रस्तावों को दाखिल करने का अधिकार होगा और वे आईसीडीपी परियोजना से मिलने वाले सभी आंकड़ों के परिणामों को प्राप्त कर सकेंगे. इससे भूकम्पीय और भूकम्प प्रक्रियाओं के लिए उन्नत समझ के स्तर पर कार्य किया जा सकेगा.
•    आईसीडीपी के साथ सदस्यता पर पांच वर्षों की अवधि के लिए समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर करने से, भारत कोयना क्षेत्र से संबंधित अन्वीक्षण और गहरी खुदाई के संदर्भ में वैज्ञानिक खुदाई के विभिन्न पहलुओं के बारे में गहन विशेषज्ञता के साथ अंतरराष्ट्रीय रूप से ख्याति प्राप्त विशेज्ञषों के साथ मिलकर कार्य करने में समर्थ हो जाएगा
ब्रेंबल केय, जलवायु परिवर्तन से विलुप्त होने वाला पहला स्तनपायी जीव घोषित
वैज्ञानिकों ने जून 2016 को ग्रेट बैरियर रीफ में पाया जाने वाले ब्रेंबल केय नामक स्तनपायी जीव को विलुप्त घोषित किया.

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मानवीय कारणों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से यह पहला जीव है जिसे विलुप्त घोषित किया गया.

क्वीन्सलैंड के डिपार्टमेंट ऑफ़ एनवायरनमेंट एंड हेरिटेज के वैज्ञानिक इयान गायन्थर द्वारा किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी.
•    जीव के विलुप्त होने का मुख्य कारण उच्च ज्वार एवं समुद्र का बढ़ता जलस्तर है. यह जलस्तर द्वीप पर भी मौजूद रहने लगा जिससे जीव के निवास स्थान के लिए खतरा पैदा हो गया.
•    समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण बहुत से जीव जंतु मारे गये. 
•    इसे ऑस्ट्रेलियन ग्रेट बैरियर रीफ रोडेंट अथवा ब्रेंबल केय के नाम से भी जाना जाता है.
•    यह मुरिडे परिवार से जुड़ा एक जीव था.
•    यह केप यॉर्क मेलोम्यस जैसा दिखता था लेकिन इसमें कुछ आधारभूत प्रोटीन विभिन्नताए भी मजूद थीं.
•    यह अधिकतर मैदानी इलाकों में पाया जाता था एवं वनस्पति भोजन पर निर्भर रहने वाला जीव था.
•    यह ऑस्ट्रेलिया का अलग-थलग रहने वाला स्तनपायी जीव था.
•    पहली बार इसकी खोज अप्रैल 1845 में की गयी. उस समय इसकी जनसँख्या काफी अधिक थी.

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