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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में इस्लामिक बैंकिंग को मंजूरी दी

भारत में इस्लामिक बैंकिंग को मंजूरी के तहत पहली जेद्दा के इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक (आईडीबी) की शाखा प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में खोली जाएगी. भारत पहला ग़ैर इस्लामिक देश है जहां यह बैंक अपनी सेवाएं देने जा रहा है. प्रधान मंत्री मोदी ने भारत में इस्लामिक बैंकिंग को 2 जून 2016 को मंजूरी दी.
•    इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक नॉन बैंकिंग फ़ाइनेंस कंपनी की शाखा खोलने जा रहा है और साथ में 200 करोड़ रुपये की पूंजी भी ला रहा है.  
•    बैंक ने भारत के ग्रामीण इलाक़ों के लिए 400 करोड़ रुपये वर्क की मोबाइल यूनिट देने के एक समझौते पर दस्तख़त किए थे, जो जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगा.
•    क़रीब 10 करोड़ डॉलर के क्रेडिट लाइन का एक और समझौता सरकारी मालिकाने वाले एक्ज़िम बैंक के साथ हुआ था.
•    इस बैंक में सऊदी अरब सबसे बड़ा साझीदार होगा और उसकी क़रीब 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
•    इस्लामी बैंकिंग का कॉन्सेप्ट इस्लाम के बुनियादी उसूल इंसाफ़ और सामाजिक न्याय पर आधारित है.
•    इस्लाम सूद के ख़िलाफ़ इसलिए है क्योंकि ब्याज की बुनियाद पर बने निज़ाम में बहुत सारे लोगों के पैसे कुछ चंद लोगों के हाथ में आ जाते हैं.
•    इसके मुक़ाबले ज़कात (बचत के एक हिस्से का दान) की व्यवस्था है, जिसमें कुछ लोगों का पैसा बहुत सारे लोगों के पास जाता है.
•    इस्लामिक बैंकिंग एक साझेदारी वाली व्यवस्था है.
•    इस्लामिक बैंकिंग ब्याज नहीं देता अपितु कर्जदार के साथ नफ़े नुक़सान में बराबर की हिस्सेदारी रखता है.
•    इससे ऐसे मुसलमानों को भी मुख्य धारा में लाना आसान होगा जो सूद की वजह से क़र्ज़ नहीं लेते.
•    वर्तमान में परम्पागत बैंकिंग को यहूदियों ने शुरू किया था. यूरोप, मलेशिया, सिंगापुर और लंदन जैसे जिन जिन जगहों पर इस्लामिक बैंकिंग चल रही है, वहां इसका इस्तेमाल करने वाले ज़्यादातर ग़ैर मुसलमान हैं.
यह बैंक प्रधानमंत्री मोदी के क़रीबी ज़फ़र सरेशवाला के नेतृत्व में खुल रहा है.
•    सरेशवाला गुजरात के नामी बिज़नेसमैन हैं.
•    प्रधानमंत्री बनने के बाद ही मोदी ने उन्हें मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी का चांसलर नियुक्त किया.

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