•    28 मार्च 2016 को केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 का अनावरण किया. इसे डेफएक्सपो– 2016  के अवसर पर पेश किया गया. डेफएक्सपो का शुभारंभ श्री पर्रिकर ने गोवा के क्वीपेम तालुका में नकेरी क्वीटोल में किया था.
•    डीपीपी  2016 रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 की जगह लेगा. यह 1 अप्रैल 2016 से प्रभावी हो जाएगा.
•    डीपीपी 2016 के मुख्य प्रावधान मई 2015 में डीपीपी 2013 की समीक्षा के लिए नियुक्त किए गए धीरेन्द्र सिंह समिति की रिपोर्ट पर आधारित हैं. 
•    उद्देश्य : डीपीपी का उद्देश्य आवंटित बजटीय संसाधनों का इष्टतम उपयोग करते हुए सैन्य बलों के लिए आवश्यक सैन्य उपकरणों, प्रणालियों और प्लेटफॉर्म की समय से खरीद सुनिश्चित करना है.
•    स्कोप (विषय–क्षेत्र) : चिकित्सीय उपकरणों के अलावा यह रक्षा मंत्रालय, रक्षा सेवाओं और भारतीय तटरक्षक बल द्वारा किए गए मुख्य अधिग्रहणों को स्वदेशी स्रोतों और पूर्व– आयात दोनों ही माध्यमों से कवर करेगा.
•    पूंजीगत अधिग्रहण :  पूंजीगत अधिग्रहण योजना को मोटे तौर पर तीन श्रेणीयों में वर्गीकृत किया गया है– बाई, बाई एंड मेक और मेक
•    बाई स्कीम (खरीद योजना) : उपकरणों की एकमुश्त खरीद को संदर्भित करता है और इस योजना के तहत की गई खरीद को इस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है– बाई (भारतीय– आईडीडीएम), बाई (भारतीय), और बाई (ग्लोबल).
•    बाई एंड मेक (खरीदें और बनाएं) योजना के तहत खरीद को बाई एंड मेक (इंडियन) और बाई एंड मेक में वर्गीकृत किया जाता है.
•    प्राथमिकता के घटते क्रम में, इस प्रक्रिया में रक्षा उपकरणों की खरीद को इस प्रकार वर्गीकृत करते हैं–
•    बाई (इंडियन– आईडीडीएम) 
•    बाई (इंडियन) 
•    बाई एंड मेक (इंडियन) 
•    बाई एंड मेक 
•    बाई (ग्लोबल)
•    दीर्घकालिक स्वदेशी रक्षा क्षमताओं और खरीद को विकसित करने के मेक श्रेणी के उद्देश्य को बाई या बाई एंड मेक वर्गीकरण के तहत किसी भी पांच श्रेणियों के साथ अलगाव, क्रम या मिलकर चलाया जाएगा. 
•    यह हथियारों को फास्ट– ट्रैक मार्ग से खरीदने के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) को अनुमति देता है. डीएसी को अभी तक सिर्फ सैन्य बलों के लिए ही खरीद करने का अधिकार प्राप्त था. 
•    बाई (इंडियन– स्वदेशी डिजाइन किया, विकसित किया औऱ निर्मित किया या आईडीडीएम) श्रेणी को स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था. इस श्रेणी के तहत खरीद के लिए 40 फीसदी सामग्री का स्थानीय होना अनिवार्य है. 
•    यह नई श्रेणी प्रौद्योगिकी विकास में अनुसंधान और विकास के लिए सरकारी वित्तपोषण एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को पहचान दिलाने समेत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी. 
•    अनिवार्यता की स्वीकृति की वैधता को पूर्व के एक वर्ष से कम कर छह माह कर दिया गया है. यह रक्षा बलों को तेजी से निविदा जारी करने में मदद करेगा.