भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 22 जून 2016 को 17 विदेशी सेटेलाइटों सहित कुल 20 सेटेलाइट सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से एक साथ प्रक्षेपित किये गये.
•    इससे पहले इसरो ने वर्ष 2008 में एक साथ 10 सेटेलाईट प्रक्षेपित किये थे. 
•    इनमें भारत के कारटोसैट—2 और भारतीय विश्वविद्यालयों के 2 सैटेलाइटों का प्रक्षेपण हुआ. साथ में 17 छोटे विदेशी सैटेलाइट भी भेजे गए. इन 20 सैटेलाइटों का कुल वजन 1,228 किलोग्राम है. 
•    इन्हें पीएसएलवी सी-34 से छोड़ा गया. दूसरे देशों में अमेरिका, जर्मनी, कनाडा एवं इंडोनेशिया के सेटेलाईट शामिल हैं. जबकि दो सेटेलाईट सत्याबामा यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पुणे के लिए प्रक्षेपित किये गये.
•    कारटोसैट—2 प्राइमरी श्रेणी का सेटेलाईट है जिसे पीएसएलवी-सी34 द्वारा छोड़ा गया. यह इससे पहले प्रक्षेपित किये गये कारटोसैट—2ए, एवं 2बी के ही समान है. कोर्टोसेट-2 उपग्रह और 19 अन्य उपग्रहों को 505 किलोमीटर की ऊंचाई पर सन सिनक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा.
•    इन सेटेलाईटटों की सहायता से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भेजी जाने वाली तस्वीरों से विभिन्न आयामों जैसे रोड नेटवर्क मॉनिटरिंग, जल वितरण, मानचित्र निर्माण एवं उपयोग, दिशा निर्देश एवं भूमि सूचना तंत्र में प्रभावशाली सहायता मिलेगी.
•    लापान ए3 (इंडोनेशिया): यह छोटा उपग्रह पृथ्वी निगरानी और चुंबकीय क्षेत्र की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
•    बीरोस (जर्मनी): इसका उपयोग उच्च तापमान की घटनाओं में रिमोट सेंसिंग के लिए किया जायेगा.
•    स्काईसैट जेन2-1 (अमेरिका): इसका उपयोग पृथ्वी की तस्वीरों हेतु किया जायेगा.
•    समुद्री निगरानी और मैसेजिंग माइक्रोसेटेलाइट (कनाडा): इस सेटेलाईट का उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा से स्वचालित पहचान प्रणाली के लिए किया जायेगा.