‘नो टू चाइल्ड लेबर-यस टू क्वालिटी एजुकेशन’ विषय के साथ वैश्विक स्तर पर 12 जून 2016 को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया.
•    इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाने की मुख्य वजह बाल श्रम के विरुद्ध लोगों में जागरूकता लाने के संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयास को समर्थन देना है.
•    कम से कम रोजगार प्राप्ति की न्यूनतम उम्र तक के सभी बच्चों को  नि: शुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना.
•    राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां जो बच्चों की जरूरतों के लिए संवेदनशील हैं औऱ बाल श्रम से लड़ने में मदद करना.
•    गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा अध्यापन के पेशे को अपनाने के लिए प्रभावशाली नीतियों के उपयोग को सुनिश्चित करना.
•    नवीनतम सर्वेक्षणों के अनुसार बहुत से बच्चे स्कूल जाने की बजाय काम करते हैं. कुछ बच्चों के पास तो खेलने जैसे उनके नसैर्गिक अधिकार के लिए भी समय नहीं होता. 
•    बहुत बच्चे गुलामी के शिकार हैं तथा नशीले पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति जैसे अन्य अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं.
•    भारत में श्रम कानून 14 वर्ष की आयु के बच्चों को कम खतरनाक उद्योगों में काम करने के लिए अनुमति देता है जबकि 15-18 वर्ष तक के उम्र के बच्चों के लिए कुछ कम प्रतिबन्ध है.
•    अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा बाल श्रम के उन्मूलन हेतु वैश्विक स्तर पर 12 जून 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की प्रक्रिया का शुभारम्भ किया गया.
•    प्रति वर्ष 12 जून को श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने तथा बाल श्रम के पूर्ण उन्मूलन में सहयोग करने के प्रयास के क्रम में पूरे विश्व में सरकार,नियोक्ता,श्रमिक संगठन,सामाजिक नागरिक आदि इस दिशा में चिंतन करते हुए एक साथ प्रयास करने की कोशिश करते हैं.