केंद्रीय कैबिनेट ने 15 जून 2016 को नागर विमानन नीति को अपनी मंजूरी दे दी. स्वतंत्रता के बाद यह पहला ऐसा अवसर है जब नागर विमानन मंत्रालय ने एक संपूर्ण नागर विमानन नीति को देश में लागू किया है. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
•    केंद्रीय कैबिनेट ने लक्ष्य रखा है कि भारत को 2022 तक तीसरा सबसे बड़ा नागर विमानन बाजार बनाना है. वर्तमान में भारतीय नागर विमानन बाजार 9वें पायदान पर है.
•    यात्री सुविधाएँ बढाकर घरेलू टिकटिंग को 2022 तक 8 करोड़ (जो 2015 में था) से बढाकर 30 करोड़ करना. 
•    वाणिज्यिक उड़ानों हेतु हवाईअड्डों की संख्या 2019 तक 127 करना जो 2016 में 77 है.
•    हवाई यात्रा के किराए को समय के अनुरूप भी समायोजित करने के प्रयास किए गए है. जिसके अनुसार एक घंटे के सफर हेतु अधितकम किराया 2500 रुपए से ज्यादा नहीं होगा, यदि यात्रा पर इससे अधिक खर्च आता है तो सरकार ने विमान कंपनियों को छूट का प्रावधान रख है.
•    इसी प्रकार 30 मिनट के हवाई सफर के लिए 1200 रुपए से ज्यादा किराया देय नहीं होगा.
•    हवाईअड्डों को कम बजट पर बढ़ावा दिया जाएगा. 
•    क्षेत्रीय विमानन सेवा को बेहतर बनाने हेतु हर संभव प्रयास करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है.
•    नई नीति के अनुसार सरकार विमानों के मेन्‍टेनेंस एंड रिपेयर ऑपरेशंस (एमआरओ) पर विशेष ध्यान देगी.
•    निजी सेवा प्रदाताओं को छुट देते हुए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा शुरू करना की नीति में भी परिवर्तन किया है. जिसक्र तहत नई नीति में 5 साल घरेलू विमान सेवा देने की शर्त को समाप्त कर दिया गया है.
•    निजी सेवा प्रदाता के पास 20 विमान होने पर घरेलू सेवा में बिना किसी अनुभव के विदेशी सेवा शुरू करने का प्रावधान किया गया है.
•    विमानान सेवा अधिनियम 5/20 नियम को बदलकर 0/20 कर दिया गया है.