उच्चतम न्यायालय ने 26 मई 2016 को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बलात्कार पीड़ितों को पर्याप्त राहत मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाए. न्यायालय ने यह भी कहा कि ‘निर्भया कोष’ जैसा एक अलग कोष बनाना पर्याप्त नहीं है और यह ‘जुबानी जमा खर्च’ जैसा है.
•    न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अवकाश कालीन पीठ ने यह दिशा निर्देश 2012 और 2013 के बीच अदालत में दाखिल की गयी छह याचिकाओं की सुनवाई के दौरान जारी किए.
•    अदालत ने महिलाओं के साथ होने वाली घटना और उनकी सुरक्षा के विषय पर विभिन्न चिंता के दृष्टिगत यह निर्देश जारी किए.
•    अब तक 29 राज्यों में से सिर्फ 25 राज्यों ने इस योजना को अधिसूचित किया है
•    अदालत के अनुसार इस विषय पर ‘अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग योजनाएं हैं.
इस विषय पर कोई राष्ट्रीय योजना नहीं है कि बलात्कार पीड़ितों को मुआवजा कैसे दिया जाए.
भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को पर्याप्त राहत मुहैया कराई जाए. 
•    पीठ ने केंद्र व सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भी जारी किया.
सीआरपीसी की धारा 357-ए को प्रभावी तौर पर लागू कराने और पीड़िता मुआवजा योजनाओं की स्थिति को लेकर उनसे जवाब तलब किया है.
•    न्यायालय ने ऐसे बलात्कार पीड़ितों की संख्या बताने को भी कहा है जिन्हें मुआवजा दिया गया.