स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा माँ और शिशु के मृत्यु दर में कमी लाने के लिए 25 फरवरी 2016 को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसव के दौरान ‘बर्थ कम्पेनियन’ की उपस्थिति को मंजूरी दी गई.पिछले कई सालों से भारत सरकार ने माँ और शिशु के मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कई कोशिशें की हैं, बर्थ कम्पेनियन इसी दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है .
•    बर्थ कम्पेनियन वो महिलाएं होंगी जिन्हें प्रसव और शिशु जन्म से जुड़े अनुभव है .
•    बर्थ कम्पेनियन प्रसव के दौरान माँओं को भावनात्मक रूप से समर्थन देंगी 
•    वो विभिन्न तकनीकों के इस्तेमाल से प्रसव पीड़ा कम करने में भी मदद करेंगी.
•    प्रसव के दौरान महिला के पति भी बर्थ कम्पेनियन के रूप में उपस्थित रह सकते हैं.
•    बर्थ कम्पेनियन को किसी भी तरह का रोग नहीं होना चाहिए.
•    बर्थ कम्पेनियन के वस्त्र साफ-सुथरे होने चाहिए.
•    बर्थ कम्पेनियन प्रसव के दौरान गर्भवती महिला के साथ पूरे समय रहने के लिए तैयार होनी चाहिए 
•    बर्थ कम्पेनियन अस्पताल उपचार प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नही करेगी.
•    विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बर्थ कम्पेनियन की नियुक्ति को बढ़ावा दिया है.