सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 11 अप्रैल 2016 को तीन सदसीय समिति का गठन किया. इस समिति का उद्देश्य सरकारी विज्ञापनों पर यह निगरानी रखना है कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किये गये निर्देशों का पालन कर रहे हैं अथवा नहीं. समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 मई 2015 को जारी निर्देशों के अनुसार किया गया.
समिति की अध्यक्षता पूर्व चुनाव आयुक्त बीबी टंडन कर रहे हैं. टंडन के अतिरिक्त समिति में इंडिया टीवी के एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा एवं साउथ एशिया, ओगिलवी के कार्यकारी निदेशक पीयूष पांडे भी शामिल हैं.
इस समिति के सदस्यों का चुनाव कानून मंत्रालय द्वारा लिए गये परामर्श से किया गया. चुनावकर्ता पैनल की अध्यक्षता प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के निदेशक चंद्रमौली कुमार प्रसाद द्वारा की गयी.
•    समिति के सदस्यों का कार्यकाल आरंभ में दो वर्षों का होगा जिसमें एक साल का विस्तार दिया जा सकता है.
•    यह विस्तार दो बार से अधिक नहीं दिया जा सकेगा.
•    समिति के सदस्यों के रूप में इंडिया टीवी के अध्यक्ष एवं मुख्य संपादक तथा समाचार प्रसारक संघ के अध्यक्ष रजत शर्मा और ऑगिल्वी एंड माथर के कार्यकारी अध्यक्ष एवं क्रियेटिव निदेशक (दक्षिण एशिया)  पीयूष पाण्डे शामिल हैं.
•    समिति माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों की अवहेलना/चूक का स्वमेव संज्ञान भी लेगी तथा मंत्रालय/विभाग को सुधारात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश करेगी.
•    समिति माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों में प्रासंगिक बदलाव कर सकती है, ताकि समय समय पर नई परिस्थितियों से निपटा जा सके.
•    वह माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुरूप किसी प्रकार का नीतिगत बदलाव नहीं करेगी.
•    समिति के ऊपर किसी प्रकार के साक्ष्य आधारित वैधानिक नियम लागू नहीं होंगे और वह अपनी दृष्टि से उचित और न्यायसंगत प्रक्रिया अपनाएगी, ताकि शिकायतों को जल्द दूर किया जा सके.
•    समिति का संचालन दिल्ली से किया जाएगा और इसकी गतिविधियों के लिए विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय व्यवस्था करेगा
तीन सदस्यीय समिति का चयन विधि एवं न्याय मंत्रालय की सलाह के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल ने किया. चयन पैनल की अध्यक्षता भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) चन्द्रमौलि कुमार प्रसाद ने की.
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2015 को सरकारी विज्ञापनों के लिए दिशा निर्देश जारी किए जिसके अनुसार इन विज्ञापनों में केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं मुख्य न्यायाधीश के फोटो ही प्रयोग किये जा सकते हैं.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन नियमों में कुछ बदलाव भी किये. नये दिशा-निर्देशों के अनुसार मुख्यमंत्री, राज्यपाल एवं राज्य मंत्री भी फोटो प्रयोग कर सकते हैं.