केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन रैंक वन पेंशन’ के कार्यान्वयन को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वन रैंक वन पेंशन के कार्यान्वयन के लिए पूर्व कार्योत्तर स्वीकृति दी.
वन रैंक-वन पेंशन” के लागू हो जाने पर रक्षा बलों के पेंशनधारियों/परिवार-पेंशनधारियों को बढ़ी हुई पेंशन मिलेगा.
• वन रैंक वन पेंशन का लाभ 01 जुलाई 2014 से प्रभावी होंगे.
• वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त पेंशनधारियों को मिलने वाली न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के अनुसार समान पद और समान सेवाकाल के आधार पर 01 जुलाई 2014 के पूर्व के पेंशनधारियों की पेंशन दोबारा तय होगी. जो पेंशनधारी औसत से अधिक पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, उनकी सुरक्षा की जाएगी.
• इसका लाभ युद्ध में शहीद सैनिकों कि विधवाओं और शारीरिक रूप से अक्षम पेंशनधारियों सहित परिवार-पेंशनधारियों को भी मिलेगा.
• जो कर्मचारी सेना नियम, 1954 के नियम, 16बी या नौसेना या वायुसेना के समान नियमों के तहत अपने निवेदन पर डिस्चार्ज होने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें “वन रैंक-वन पेंशन” के लाभ नहीं मिलेगा.
• बकाया राशि का भुगतान 04 छमाही किस्तों में होगा. अक्षम परिवार-पेंशनधारियों को बकाया राशि का भुगतान एक किस्त में किया जाएगा, जिनमें विशेष/उदार परिवार-पेंशन तथा शौर्य पुरस्कार विजेता शामिल हैं.
• भविष्य में हर पांच साल में पेंशन दोबारा तय किया जायेगा.
•पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता 14 दिसम्बर 2015 को गठित न्यायिक समिति भारत सरकार द्वारा दिए गए संदर्भों पर अपनी रिपोर्ट छः माह में सौंपेगी.
समय से पहले सेवानिवृत्त होने वाले लोगों सहित “वन रैंक-वन पेंशन” के लागू होने से बकाया राशि के भुगतान के संबंध में 10925.11 करोड़ रुपए और वार्षिक वित्तीय बोझ 7488.7 करोड़ रुपए होगा.