वैज्ञानिकों के एक समूह ने दक्षिणी पश्चिमी घाट पर रेत खाने वाले टैडपोल की प्रजाति की खोज की. यह टैडपोल मेंढक के रूप में विकसित होने तक पूरी तरह अंधेरे में रहते हैं.
•    इस खोज के संबंध में 30 मार्च 2016 को प्लोस वन नामक पत्रिका में जानकारी प्रकाशित की गयी.
•    यह टैडपोल भारतीय डांसिंग फ्रॉग, मिक्रिक्सेलिडाए की प्रजाति से संबंधित हैं.
•    इस खोज में दिल्ली विश्वद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेरादेनिया (श्रीलंका) एवं गैटिसबर्ग कॉलेज (कैलिफ़ोर्निया) के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से योगदान दिया.
•    इस खोज से इस प्रजाति के संरक्षण एवं इसके बारे में अधिक जानकारी जुटाने में मदद मिल सकेगी. यह भारतीय मेंढकों की एक स्थानीय एवं प्राचीन प्रजाति है.
•    यह पूरी तरह अंधेरे में रहने वाली प्रजाति है जो विकसित होने तक इसी प्रकार रहते हैं.
•    इनकी आकृति ईल जैसी दिखती है.
•    इनका शरीर एवं पूंछ काफी मांसल होते हैं जिसमें त्वचा से ढकी आंखें, देरी से विकसित होने वाले अंग एवं विकसित होने से पहले के चरण मौजूद होते हैं.
•    ये दांत विहीन होते हैं लेकिन इनके जबड़े नुकीले होते हैं.
•    यह टैडपोल अधिकतर अवशिष्ट अवसाद एवं रेत पर निर्भर होते हैं.