राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 27 मार्च 2016 को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत हस्ताक्षर किए जाने के उपरांत उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लग गया. 
•    इससे पहले 26 मार्च को उत्तराखंड के राजनीतिक संकट पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक हुई जिसमें राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफ़ारिश की गई.
•    राष्ट्रपति शासन का निर्णय 28 मार्च को मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा विधानसभा में बहुमत साबित करने से एक दिन पहले लिया गया.
•    18 मार्च 2016 को उत्तराखंड की 70 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 36 विधायकों में से 9 बाग़ी हो गये. मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इन्हें बर्खास्त करने की मांग की. इनके अतिरिक्त सरकार में भाजपा के 28 विधायक हैं जिनमें से एक निलंबित है. बसपा के दो, निर्दलीय तीन और एक विधायक उत्तराखंड क्रांति दल का है.
•    राज्यपाल ने हालात का जायजा लेते हुए राज्य सरकार को 28 मार्च 2016 को बहुमत साबित करने के लिए कहा.
•    26 मार्च 2016 को हरीश रावत के खिलाफ बागी विधायकों ने एक स्टिंग जारी किया, जिसमें मुख्यमंत्री और एक शख्स के बीच पैसे के लेन-देन की भी बातचीत होने का दावा किया गया. 
•    इसमें दावा किया गया कि कांग्रेस के बागी विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश की गयी.
•    इसके बाद 26 मार्च 2016 को उत्तराखंड के राजनैतिक संकट को लेकर कैबिनेट की आपात मीटिंग बुलाई गयी, जिसमें राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई.