अखिलेश रंजन समिति ने ई-कॉमर्स से सम्बंधित कराधान पर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी
ई-कॉमर्स हेतु व्यापार मॉडल की जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा गठित अखिलेश रंजन समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार के समक्ष 21 मार्च 2016 को प्रस्तुत की.
• समिति की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए वित्त विधेयक 2016 केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया था.
• इस रिपोर्ट में समिति ने मुख्यतः कराधान से संबंधित मुद्दों तथा इससे सम्बंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान विकास पर अपने विचार व्यक्त किया है.
• इस समिति के मुख्य सदस्यों में सीबीडीटी के अधिकारी और भारतीय सनदी लेखाकार और कर विशेषज्ञ संस्थान उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हैं. 8 सदस्यीय इस समिति की अध्यक्षता अखिलेश रंजन, संयुक्त सचिव (एफटी एंड टीआर-आई राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय) ने की.
• वित्त अधिनियम, 2016 में एक पृथक अध्याय के जरिये निर्दिष्ट सेवाओं में गैर निवासियों के लिए भुगतान पर समकारी लेवी ( Equalization Levy) को लगाया जा सकता है.
• निर्दिष्ट डिजिटल सेवाओं के लिए भारतीयों को एक अनिवासी भारतीय तथा स्थायी प्रतिष्ठान द्वारा प्राप्त किसी भी राशि पर समकारी लेवी को लगाया जाना चाहिए.
• समकारी लेवी की दर सकल प्राप्त राशि की 6 से 8 प्रतिशत के बीच हो सकता है.
• समकारी लेवी शुल्क तब तक नहीं वसूल किया जाना चाहिए जब तक एक भारतीय द्वारा निर्दिष्ट सेवाओं के लिए एक साल में एक लाख से अधिक रूपये के तथ्य(परिसम्पति) नहीं प्राप्त हुए हों.
• आयकर अधिनियम, 1961 के तहत भारत में एक अनिवासी की एक स्थायी प्रतिष्ठान द्वारा प्राप्त भुगतान पर शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए.
• अगर एक वर्ष में व्यक्ति द्वारा प्राप्त राशि दस करोड़ रुपये से अधिक की हो तो समकारी लेवी के तहत उस राशि पर रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता होगी.
• किसी भी राशि पर जिसमें समकारी लेवी के तहत भुगतान किया गया है, को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 के तहत आयकर से छूट मिलनी चाहिए.
• आयकर अधिनियम 1961 की धारा 9 के तहत वर्णित महत्वपूर्ण आर्थिक संबंधों की अवधारणा को शामिल कर इसका विस्तार किया जा सकता है.
• समकारी लेवी के कार्यान्वयन और प्रभाव पर नियमित रूप से नजर रखा जाना चाहिए.